गुरुवार, 6 जून 2013

तन्हाँ इक फूल रहा

भावना कुँअर
1
तुम बरसों बाद मिले-
मन के तार छिड़े
सारे  ही ज़ख़्म सिले।
2
तुमसे छुप-छुप  मिलना-
था आभास हुआ
मन - बेला  का  खिलना।
3
तन्हाँ  इक फूल रहा,
मिलकर खुशबू से
करता  फिर भूल   रहा।
4
यूँ  रूठ चले जाना
है आसान बहुत,
मुश्किल  बहुत निभाना

-0-

8 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर भाव पूर्ण माहिया हैं ..
    तन्हाँ इक फूल रहा,
    मिलकर खुशबू से
    करता फिर भूल रहा।....बहुत प्यारा !!
    बधाई और शुभ कामनाएँ
    ज्योत्स्ना शर्मा

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  2. जीवन दर्शन के यथार्थ को दर्शाते बेमिसाल माहिया .

    हार्दिक बधाई .

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  3. yun rooth chale jaana, hai aasaan bahut, mushkil bahut nibhaana

    bahut sundar panktiyan, badhaai

    pushpa mehra

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  4. यूँ रूठ चले जाना
    है आसान बहुत,
    मुश्किल बहुत निभाना ।
    kitni sahi baat hai kisi bhi chij ko chhodna bahut kathin hota hai nibhana bahut mushkil
    badhai
    rachana

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  5. बहुत प्यारे माहिया हैं...दिल के तार छेड़ जाते हैं जैसे...|
    तन्हाँ इक फूल रहा,
    मिलकर खुशबू से
    करता फिर भूल रहा।
    बहुत बधाई...|

    प्रियंका

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  6. सुमधुर माहिया। बधाई भावना जी सुंदर लेखन के लिए।

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