रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
1
नदिया को तीर मिले
साथ चले फिर भी
धारा की पीर मिले ।
2
दो पल को साथ रहे,
फिर परदेस गए
हमने सब दर्द सहे ।
3
तुझको कब ज्ञान रहा-
द्वार खड़ा तेरे
भूखा भगवान रहा ।
4
आँधी का तिनका है,
जीभर प्यार करो
जीवन दो दिन का है ।
5
ये दोष न सपनों का
है विश्वास छले
जीवन में अपनों का ।
-0-
बहुत-बहुत-बहुत सुंदर माहिया ! दिल को छू गये.....
जवाब देंहटाएं~सादर!!!
waah ....!!
जवाब देंहटाएंआपसे बहुत कुछ सीखने को मिलता है ....
सादर ...!!
वाह...बहुत ही सुंदर...
जवाब देंहटाएं५वाँ बहुत अच्छा...
सादर
बहुत सुन्दर माहिया!
जवाब देंहटाएंये दोष न सपनों का
है विश्वास छले
जीवन में अपनों का ।
यह तो अति मन भाया!
सादर
प्रेरणात्मक सुंदर माहिया
जवाब देंहटाएंहार्दिक बधाई .
आँधी का तिनका है,
जवाब देंहटाएंजीभर प्यार करो
जीवन दो दिन का है ।
बहुत गहरी बात...|
सब माहिया बहुत अच्छे लगे...बधाई...|
bahut sundar
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