रविवार, 30 जून 2013

विश्वास छले

रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
1
नदिया को तीर मिले
साथ चले फिर भी
धारा की पीर मिले ।
2
दो पल को साथ रहे,
फिर परदेस गए
हमने सब दर्द सहे  ।
3
तुझको कब ज्ञान रहा-
द्वार खड़ा तेरे
भूखा भगवान रहा ।
4
आँधी का तिनका है,
जीभर प्यार करो
जीवन दो दिन का है ।
5
ये दोष न  सपनों का
है विश्वास छले
जीवन में अपनों का ।

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7 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत-बहुत-बहुत सुंदर माहिया ! दिल को छू गये.....
    ~सादर!!!

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  2. waah ....!!

    आपसे बहुत कुछ सीखने को मिलता है ....

    सादर ...!!

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  3. वाह...बहुत ही सुंदर...
    ५वाँ बहुत अच्छा...
    सादर

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  4. बहुत सुन्दर माहिया!

    ये दोष न सपनों का
    है विश्वास छले
    जीवन में अपनों का ।
    यह तो अति मन भाया!
    सादर

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  5. प्रेरणात्मक सुंदर माहिया

    हार्दिक बधाई .

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  6. आँधी का तिनका है,
    जीभर प्यार करो
    जीवन दो दिन का है ।
    बहुत गहरी बात...|
    सब माहिया बहुत अच्छे लगे...बधाई...|

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