शुक्रवार, 30 अगस्त 2013

जीवन

सुभाष लखेड़ा

जीवन क्या है
पुराना सवाल है  
कई जवाब 
देते रहे हैं लोग 
फलस्वरूप 
पनपे कई मत
मिला न सत 
हम वहीं खड़े हैं 
लगता यही 
इसमें न उलझें 
जीवन जिएँ
करें हमेशा हम 
परोपकार
यही बड़ा पुण्य है 
नहीं दें पीड़ा 
वह  बड़ा पाप है 
महापुरुष 
सभी धार्मिक ग्रन्थ  
कहते यही
सेवा सच्चा  धर्म है 
जीवन का मर्म है।  

-0-

5 टिप्‍पणियां: