शनिवार, 28 सितंबर 2013

बूँदें भरमाई हैं

अनुपमा त्रिपाठी ।
1
फिर बारिश आई है 
प्रेम लिये झरती 
टिप-टिप हरषाई  है 
2
मन मेरा भीज रहा 
यादों में डूबा 
सुधियों में  रीझ  रहा 
3
साँझ सुनहरी घिरती
स्वर्णिम  पंखों से 
बूँदों को  ले तिरती ।
4
बूँदें भरमाई हैं 
टिपिर टिपिर करती 
संदेसा लाई हैं  ।
5
आशाएँ भी सरसें 
बादल पंख लिये
जब मन पर यूँ बरसें ।
6
आँख -मिचौनी सी !
हम-तुम ,तुम-हम में 
फिर भी दूरी कैसी  

-0-

16 टिप्‍पणियां:

  1. बूँदें भरमाई हैं
    टिपिर टिपिर करती
    संदेसा लाई हैं
    bahut khub
    badhai
    rachana

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  2. बहुत सुन्दर और मोहक माहिया...

    बूँदें भरमाई हैं
    टिपिर टिपिर करती
    संदेसा लाई हैं ।

    बधाई अनुपमा जी.

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  3. बूँदें भरमाई हैं
    टिपिर टिपिर करती
    संदेसा लाई हैं ।
    ***
    सुन्दरतम अभिव्यक्ति... बूंदों को खूब पढ़ा है और अभिव्यक्ति दी है उन्हें!
    बधाई!

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  4. जाते जाते बरखा फिर लौट आई
    जैसे जाती हुई प्रेमिका :)
    भीगा भीगा मन !

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  5. आशाएँ भी सरसें
    बादल पंख लिये
    जब मन पर यूँ बरसें ।...बहुत सुंदर...सभी माहिया भावपूर्ण...अनुपमा जी को बधाई !

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  6. बहुत मधुर मोहक माहिया .....आशाएँ सदा सरसें !...बहुत बधाई ..शुभ कामनाएँ !

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  7. सुन्दर माहिया के लिए बधाई...|
    प्रियंका

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  8. बहुत मन मोहक माहिया !
    अनुपमा जी बधाई !

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  9. सुन्दर त्रिवेणी में..
    महिया सजाई है.
    मोहित हुआ मन.

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  10. हृदय से आभार ....हरदीप जी और हिमांशु भैया जी महिया यहाँ देने के लिए और आभार आप सभी का दो शब्द देकर अपने विचार देने के लिए ......!!

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  11. Sabhi mahiya bahut manbhavan aur bhavpurn hain ... Priya Anupma ji ko badhai

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