डॉ० हरदीप सन्धु
1
दोनों नदियाँ
वादियों में पहुँची
बनती एक धारा
अश्रु बहते
छलकी ज्यों अँखियाँ
दु:ख सब कहतीं ।
2
पालने मुन्नी
माँ लोरियाँ सुनाए
मीठी निंदिया आए
यादों में सुने
लोरियाँ माँ का मन
दिखता बचपन ।
3
श्वेत व श्याम
दो रंग दिन–रात
अश्रु और मुस्कान,
साथ–दोनों का
यहाँ पल–पल का
खेलें एक आँगन ।
4
तेरी अँखियाँ
ज्यों ही रुकीं आकर
मन–दहलीज पे,
हुआ उजाला
जगमगाए दीए
मेरे मन–आँगन ।
-0-
हुआ उजाला
जवाब देंहटाएंजगमगाए दीए
मेरे मन–आँगन ।
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति हरदीप जी ।
बहुत सुन्दर सेदोका ! हर्दीप जी बधाई!
जवाब देंहटाएंश्वेत व श्याम
जवाब देंहटाएंदो रंग दिन–रात
अश्रु और मुस्कान,
साथ–दोनों का
यहाँ पल–पल का
खेलें एक आँगन। … बहुत खूब
उत्कृष्ट सेदोका .
जवाब देंहटाएंबधाई .
shwet wa shyam, do rang din raat,, ashru aur muskaan, saath dono ka................. bahut sundar bhav two opposites always present to gather . Sandhuji bahut badhai.
जवाब देंहटाएंpushpa mehra
बहुत भावपूर्ण सेदोका, बधाई.
जवाब देंहटाएंतेरी अँखियाँ
जवाब देंहटाएंज्यों ही रुकीं आकर
मन–दहलीज पे,
हुआ उजाला
जगमगाए दीए
मेरे मन–आँगन ।.....बहुत सुन्दर सेदोका ...हार्दिक बधाई !
पालने मुन्नी
जवाब देंहटाएंमाँ लोरियाँ सुनाए
मीठी निंदिया आए
यादों में सुने
लोरियाँ माँ का मन
दिखता बचपन ।
बचपन की वो ममता की छाँव यु ही अक्सर याद आती है...बहुत खूबसूरत...|
बेहतरीन सेदोका के लिए हार्दिक बधाई...|