गुरुवार, 26 सितंबर 2013

अश्रु और मुस्कान

डॉ० हरदीप सन्धु
1
दोनों नदियाँ
वादियों में पहुँची
बनती एक धारा
अश्रु बहते
छलकी ज्यों अँखियाँ
दु:ख सब कहतीं ।
2
पालने मुन्नी
माँ लोरियाँ सुनाए
मीठी निंदिया आए
यादों में सुने
लोरियाँ माँ का मन
दिखता बचपन ।
3
श्वेत व श्याम
दो रंग दिनरात
अश्रु और मुस्कान,
साथदोनों का
यहाँ पलपल का
खेलें एक आँगन ।
4
तेरी अँखियाँ
ज्यों ही रुकीं आकर
मनदहलीज पे,
हुआ उजाला
जगमगाए दीए
मेरे मनआँगन ।

-0-

8 टिप्‍पणियां:

  1. हुआ उजाला
    जगमगाए दीए
    मेरे मन–आँगन ।

    बहुत सुंदर अभिव्यक्ति हरदीप जी ।

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  2. बहुत सुन्दर सेदोका ! हर्दीप जी बधाई!

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  3. श्वेत व श्याम
    दो रंग दिन–रात
    अश्रु और मुस्कान,
    साथ–दोनों का
    यहाँ पल–पल का
    खेलें एक आँगन। … बहुत खूब

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  4. shwet wa shyam, do rang din raat,, ashru aur muskaan, saath dono ka................. bahut sundar bhav two opposites always present to gather . Sandhuji bahut badhai.

    pushpa mehra

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  5. तेरी अँखियाँ
    ज्यों ही रुकीं आकर
    मन–दहलीज पे,
    हुआ उजाला
    जगमगाए दीए
    मेरे मन–आँगन ।.....बहुत सुन्दर सेदोका ...हार्दिक बधाई !

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  6. पालने मुन्नी
    माँ लोरियाँ सुनाए
    मीठी निंदिया आए
    यादों में सुने
    लोरियाँ माँ का मन
    दिखता बचपन ।
    बचपन की वो ममता की छाँव यु ही अक्सर याद आती है...बहुत खूबसूरत...|
    बेहतरीन सेदोका के लिए हार्दिक बधाई...|

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