सोमवार, 24 मार्च 2014

समय का अतिथि

 कृष्णा वर्मा
1

बिन आहट
समय का अतिथि
दबे पाँव आता है
कभी दे जाए
खुशियों की सौगात
कभी  कष्टों  से मात ।
2
वक्त खिलाड़ी
चलने ना दे कभी
अगाड़ी या पिछाड़ी
दिशानुकूल
जो हाथ थामे चले
वक्त उसी को फले ।

-0-

4 टिप्‍पणियां:

  1. समय की चाल का बहुत सुन्दर चित्रण किया कृष्णा जी !
    बहुत बढ़िया सेदोका !
    आपको हार्दिक बधाई !

    ~सादर
    अनिता ललित

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  2. ...... ,dishanukul, jo hath tham chale ,vakht usi ko. phale. thik likha hai.krishna ji apko bahut badhai.
    pushpa mehra.
    .

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  3. samay ka athiti aur vakt khiladi ..dono sedoke jeevan ke yatarth ko bakhubi darshate hai....bahut hi sunder krishna ji

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