शशि पाधा
1
पनघट पे आ मीता
पायल छनक रही
कोई गीत सुना मीता ।
2
कैसी मजबूरी है
पर्वत बीच खड़ा
मीलों की दूरी है ।
3
हम पर्वत तोड़ेंगे
नदिया धारा बन
हम राहें जोड़ेंगे
4
इक रीत बनाई है
मेघों से बाँधी
पाती भिजवाई है
5
आँचल में बाँधेंगे
नैना नीर भरे
हम कैसे बाँचेंगे
6
तन -मन सब सूखा है
हम बिछुड़े जब से
सावन भी रूखा है ।
7
सब दर्द मुझे देते
धीर धरो सजना
हम कसम तुझे देते
8
हम सब कुछ सह लेंगे
आँचल यादों का
थामे हम रह लेंगे
9
दुःख के दिन काट
लिये
आई मिलन -घड़ी
सुख मिल कर बाँट लिये
10
तुम कितनी भोली
हो
धीरज बाँधे जो
वो पावन रोली हो
-0-
kya kahne bahut hi bhavpurna evam arthpurna prastutiyan
जवाब देंहटाएंbadhai sweekaren
Dr. Kavita Bhatt
Srinagar Garhwal Uttarakhand
एक से एक सुन्दर माहिया शशि जी.....बधाई !
जवाब देंहटाएंहम सब कुछ सह लेंगे
जवाब देंहटाएंआँचल यादों का
थामे हम रह लेंगे
bahut sunder bhav shashi ji
badhai
rachana
कैसी मजबूरी है
जवाब देंहटाएंपर्वत बीच खड़ा
मीलों की दूरी है ।
बहुत ही मधुर और सुंदर।
गहराई लिए माहिया
जवाब देंहटाएंबधाई शशि जी
अतिसुन्दर माहिया। विशेषकर -
जवाब देंहटाएं'आँचल में बाँधेंगे
नैना नीर भरे
हम कैसे बाँचेंगे !'
'तन -मन सब सूखा है
हम बिछुड़े जब से
सावन भी रूखा है ।'
हार्दिक बधाई शशि जी !
~सादर
अनिता ललित
bahut hi khoobsurat mahiya shashi ji....badhai
जवाब देंहटाएंभावप्रवण और मर्मस्पर्शी माहिया के लिए हार्दिक बधाई...|
जवाब देंहटाएं