बुधवार, 24 सितंबर 2014

पनघट पे आ मीता



शशि पाधा
1
पनघट पे आ मीता
पायल छनक रही
कोई गीत सुना मीता
2
कैसी मजबूरी है
पर्वत बीच खड़ा
मीलों की दूरी है
3
हम पर्वत तोड़ेंगे
नदिया धारा बन
हम राहें जोड़ेंगे
4
 इक रीत बनाई है
 मेघों से बाँधी
पाती भिजवाई है
5
आँचल में बाँधेंगे
नैना नीर भरे
हम कैसे बाँचेंगे
6
तन -मन सब सूखा है
हम बिछुड़े जब से
सावन भी रूखा है
7
सब दर्द मुझे देते
धीर धरो सजना
हम कसम तुझे देते
8
हम सब कुछ सह लेंगे
आँचल यादों का
थामे हम रह लेंगे
9
 दुःख के दिन काट लिये
आई मिलन -घड़ी
सुख मिल कर बाँट लिये
10
 तुम कितनी भोली हो
धीरज बाँधे जो
वो पावन रोली हो
-0-

8 टिप्‍पणियां:

  1. kya kahne bahut hi bhavpurna evam arthpurna prastutiyan
    badhai sweekaren

    Dr. Kavita Bhatt
    Srinagar Garhwal Uttarakhand

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  2. एक से एक सुन्दर माहिया शशि जी.....बधाई !

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  3. हम सब कुछ सह लेंगे
    आँचल यादों का
    थामे हम रह लेंगे
    bahut sunder bhav shashi ji
    badhai
    rachana

    जवाब देंहटाएं
  4. कैसी मजबूरी है
    पर्वत बीच खड़ा
    मीलों की दूरी है ।


    बहुत ही मधुर और सुंदर।

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  5. गहराई लिए माहिया

    बधाई शशि जी

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  6. अतिसुन्दर माहिया। विशेषकर -

    'आँचल में बाँधेंगे
    नैना नीर भरे
    हम कैसे बाँचेंगे !'

    'तन -मन सब सूखा है
    हम बिछुड़े जब से
    सावन भी रूखा है ।'

    हार्दिक बधाई शशि जी !

    ~सादर
    अनिता ललित

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  7. भावप्रवण और मर्मस्पर्शी माहिया के लिए हार्दिक बधाई...|

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