बुधवार, 17 दिसंबर 2014

तुम्हारी आँखें



सुदर्शन रत्नाकर ।
1
चहचहाती
नीले पंख फैलाती
स्वच्छंद उड़ी
आसमान नापती
वह नन्ही चिड़िया ।
2
तुम्हारी आँखें
बोलती रहतीं हैं
कुछ कहतीं
भावनाओं से भरी
खुशी है झलकती ।
3
चाँद आया था
उजियारा लेकर
मेरे आँगन
पर मैं सोती रही
खिड़की बंद किए ।
4
पेड़ों से छन
उतरती किरणें
नव सूर्य की
भरतीं तन मन
स्फ़ूति नव स्पंदन ।
5
सोचती रही
लौट कर आएगा
वक़्त -पखेरू
उड़ा, उड़ता गया
हँसता मुझ पर ।
6
भोर होते ही
बहीं ठंडी हवाएँ
पंछी हैं जगे
पत्तियाँ गुनगुनाईं
सूरज मुस्कुराया  

9 टिप्‍पणियां:

  1. सभी ताँका बहुत सुन्दर !
    सोचती रही
    लौट कर आएगा
    वक़्त -पखेरू
    उड़ा, उड़ता गया
    हँसता मुझ पर ।- जीवन का सच!

    ~सादर
    अनिता ललित

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  2. bsabhi tanka achhe hain , tumhari ankhen,chand aya tha in do ke bhav bahut achhe lage sudershan ji apko badhai.
    pushpa mehra.

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  3. हरेक तांका में एक नया खूबसूरत अहसास |

    सुन्दर अभिव्यक्ति आदरणीय सुदर्शन जी |

    शशि पाधा

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  4. नन्ही चिड़िया ,तुम्हारी आँखें ,वक्त पखेरू ,चाँद आया ..क्या कहिए मन को प्रसन्नता से भरते बहुत सुन्दर ,मधुर ताँका ..हार्दिक बधाई दीदी !

    सादर
    ज्योत्स्ना शर्मा

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  5. man mein nav sfurti bharte ....khoobsurat ahsaas liye...sabhi taanka manmohak..badhai ke saath-

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  6. चहचहाती
    नीले पंख फैलाती
    स्वच्छंद उड़ी
    आसमान नापती
    वह नन्ही चिड़िया ।

    Bahut khub ! bahut bahut badhjai...

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