बुधवार, 24 दिसंबर 2014

पौष की हवा



डॉ सुधा गुप्ता
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पौष की हवा
कहे मार टहोका-
बता तो ज़रा
अब क्यों दुत्कारती
जेठ में दुलारती ।
-0-

9 टिप्‍पणियां:

  1. bahut hi sunder srajan....aadarniy sudha ji ko saadar naman ke saath -saath hardik badhai ..

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  2. क्या बात है .. बिलकुल अलग अंदाज में .. तरोताजा कर गई 'पौष की हवा ' सुधादीदी आपकी कलम ने हमेशा की तरह कमाल कर दिया |

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  3. वाह!स्मृतियों को तरोताज़ा कर गी यह पोष की हवा | धन्यवाद आपका |

    सादर,

    शशि पाधा

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  4. वाह! कितनी सहज व सुन्दर अभिव्यक्ति !
    सुधा दीदी जी एवं उनकी लेखनी को नमन।

    ~सादर
    अनिता ललित

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  5. पौष की हवा का मनभावन मानवीकरण। अति सुंदर !
    सुधा दी को साधुवाद

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  6. बहुत ही सुंदर लिखा है...सादर

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