मंगलवार, 13 अक्टूबर 2015

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डॉ०पूर्णिमा राय
1
ये फूलों की क्यारी
काँटों -बीच सजी
लगती सबको प्यारी।
2
कानों में रस घोले
मुरली की ये धुन
भेद दिलों के खोले।।
3
आँखों में सपने हैं
तेरा संग मिले
दुश्मन भी अपने हैं।
4
टिप-टिप पानी बरसे
रूठ गये हो तुम
प्रेमी मन ये तरसे।
5
लगता मोरा जिया
गिन -गिन तारे भी
कटती ना रात पिया।
6
राहों  में  हैं काँटें
चुनकर काँटों को
फूलों को हम बाँटें।
-0-
...

14 टिप्‍पणियां:

  1. डॉ पूर्णिमा जी सभी माहिया का सुन्दर भावों के साथ सृजन किया है |हार्दिक बधाई |नवरात्रि की शुभकामनाएं |

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  3. ये फूलों की क्यारी
    काँटों -बीच सजी
    लगती सबको प्यारी।
    yah vishesh , sbhi utkrisht haen
    badhai

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  4. हर माहिया अपने अलग भाव - सज्जा से सजा है , बहुत सुंदर है , पूर्णिमा जी आपको बधाई |
    पुष्पा मेहरा

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  5. बहुत सुन्दर माहिया पूर्णिमा जी....बधाई।

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  6. सुंदर माहिया डॉ पूर्णिमा राय जी !

    हार्दिक बधाई !!!

    ~सादर
    अनिता ललित

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  7. राहों में हैं काँटें
    चुनकर काँटों को
    फूलों को हम बाँटें।

    bahut khub ! bahut sari badhai aapko sundar lekhn ke liye...

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  8. राहों में हैं काँटें
    चुनकर काँटों को
    फूलों को हम बाँटें।
    बहुत सुन्दर माहिया हैं सभी...पर ये वाला अधिक पसंद आया | बधाई...|

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