गुरुवार, 3 दिसंबर 2015

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1-मंजूषा मन
1
उसको अपना माना
उसने आँखों का
ये भाव न पहचाना।
2
तन माटी के पाया
मन क्यों पाहन है
ये समझ नहीं आया ।
3
मन में कोयल बोली
तेरी चाहत ने
भर दी मेरी झोली।
4
मिलने की सूरत थी
कोशिश करने की
कुछ और ज़रूरत थी।
5
बस याद तिहारी थी
तुमको चाहा था
ये भूल हमारी थी।
6
प्यारा ये सन्नाटा
इसने ही हमसे
मेरा हर दुख बाँटा।
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2-कुमुद बंसल
1
छोड़ो तुम शर्माना
आओ पास अभी
चुनरी जो रँगवाना।
2
दिल को ना भरमाना
दूरी ना  मिटती
भूलो अब बहलाना ।
3
मैं मोहन तू राधा
तन मन रँग डालूँ
अबधुबन मेंजा
4
झूठी यह सब माया
दलदल से बचना
ढल जाएगी काया ।
5
आना ,फिर से जाना
लहरों का जीवन-
सागर में मिल जाना ।
6
छलिया हो, छल जाते
अब न छलो मोहन
क्यों मुझको भरमाते ।
-0-

8 टिप्‍पणियां:

  1. मंजूषा जी, कुमुद जी बहुत अच्छे माहिया। बधाई।

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  2. मंजूषा जी और कुमुद जी ! माधुर्य लिए भावपूर्ण और सुंदर हाइकु के लिए बधाई स्वीकारें !

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  3. manjusha ji va susheela ji bahut sunder mahiya hain , badhai

    pushpa mehra

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  4. आप सभी कअ हार्दिक आभार हमारे प्रयास कओ पसन्द करने और हौसला बढ़ाने के लिए।

    प्रेरणा देते रहिये।

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  5. भावपूर्ण माहिया कुमुद जी। बधाई स्वीकार करें।

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  6. बहुत मधुर ,मोहक माहिया ..बहुत बधाई कुमुद जी ,मंजूषा जी !

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