शुक्रवार, 26 फ़रवरी 2016

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पुष्पा मेहरा
1
अनंगराज
छिप- छिप फेंकते
मादक प्रेम- बाण,
दहके मन
दहकता- सा लगे
सारा पलाश वन
2
हवा मलिनी
घूम –घूम ले आई
मधु सुगंध- पुष्प ,
तन्मय मन
उड़ी - उड़ी बाँट रही
पल्लू में भर –भर
3
आई तितली
मासों से थी बिछड़ी
मिलनोत्सुकता थी ,
रुक न सकी
फूलों के गले मिली
प्रेम -विभोर  मन
-0-

12 टिप्‍पणियां:

  1. वाह पुष्पा जी , आपने वसंत को बुला लिया है अपने घर | बहुत सुंदर चित्रण | बधाई आपको |

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  2. पुष्पा जी आपने अकेले बसंत को नही बुलाया फूलों की सुगंध और रंग बिरंगी तितलियों को फूलों संग भाव विभोर होने को इकट्ठा कर लिया ।सुन्दर रंग बरसा दिया त्रिवेनी अंगना में । हार्दिक बधाई ।

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  3. बहुत सुंदर बसन्त-चित्रण ...मन विभोर हो गया।
    हार्दिक बधाई पुष्पा जी !

    सादर
    अनिता ललित

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  4. वाह पुष्पा जी, मन खुश हो गया आपके सुंदर सेदोका पढ़कर। बधाई

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  5. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  6. बहुत कोमल, बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति पुष्पा जी।

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  7. कोमल, मधुर व ताज़ा अहसास दिलाती प्यारी रचनाये। ..बसंत से मानों साक्षात्कार करा दिया आपने|आदरणीय पुष्प जी आपको ढेरों शुभकामनाएँ सादर नमन के साथ !

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  8. सुन्दर रंग लिए मोहक, मधुर सेदोका...आनंददायक !!

    हार्दिक बधाई पुष्पा दीदी !!

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  9. मेरे सेदोका को त्रिवेणी में स्थान देने हेतु सम्पादक द्वय का आभार , इन सेदोका को प्राप्त उत्साहवर्द्धक टिप्पणियों में छिपा साथी रचनाकारों का स्नेह मुझे प्रेरणा देता है आप सभी को हार्दिक धन्यवाद |

    पुष्पा मेहरा

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  10. खूबसूरत से सभी सेदोका...पर यह बहुत भाया-
    आई तितली
    मासों से थी बिछड़ी
    मिलनोत्सुकता थी ,
    रुक न सकी
    फूलों के गले मिली
    प्रेम -विभोर मन।
    हार्दिक बधाई...|

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