शनिवार, 24 सितंबर 2016

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ज्योत्स्ना प्रदीप
1
वो नाते प्यारे थे
करते मन शीतल
चाँदी -से धारे थे ।
2
वो बूढ़े बाबा थे
मंदिर सबके थे
वो ही तो काबा थे ।
3
पीपल की छैंया थी
घर थे सादे से
हर घर में गैया थी ।
4
वो सीखें माई की
हर लड़के मे थी
सूरत निज भाई की ।
5-
वो विधवा चाची थी
पीर -कथा उसने
जीवन भर बाँची थी ।
6
कोई न कहीं छल था
चा भरी एक मन
मीठा सबका पल था
7
जब ईद- दिवाली थी
लखना- जुम्मन की
तब एक ही थाली थी ।
8
अब उजले तो मुख हैं
होठों हास थमा
मन में केवल दुख हैं
9
अब खूब दिखावा है
मन घायल कर दे
हर ओर छलावा है ।
10
नेकी न कभी मरती
अब तक बाकी है
कुछ लोगों से धरती ।
-0-

16 टिप्‍पणियां:

  1. आदरणीया ज्योत्स्ना प्रदीप जी के सुंदर लययुक्त माहिये, यादों को उकेरते हुए आशा भरे हैं।

    जब ईद- दिवाली थी
    लखना- जुम्मन की
    तब एक ही थाली थी ।
    विशेष सुंदर। वाह!! बधाई।

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  2. दिल को छूने वाले माहियाँ ज्योत्सना जी ! हार्दिक बधाई
    स्वीकार करे ।
    'अब ख़ूब दिखावा है
    मन घायल कर दे
    ख़ूब छलावा है।'

    बहुत सही कहा है आपने!
    वर्तमान की हक़ीक़त यही है ।
    जीवन की सादगी और सच्चाई अब गुज़रे ज़माने की बात हो चली है।

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  3. अब खूब दिखावा है
    मन घायल कर दे
    हर ओर छलावा है ।


    सभी माहिया बहुत खूबसूरत ज्योत्स्ना जी

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  4. ज्योत्सना प्रदीप जी के सुंदर - सजीले माहिया बहुत मनभावन हैं ।
    वो नाते प्यारे थे
    करते मन शीतल
    चाँदी -से धारे थे ।
    बधाई ज्योत्सना जी ।
    सस्नेह - विभा रश्मि 👌👌👌

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  5. ज्योत्सना प्रदीप जी के सुंदर - सजीले माहिया बहुत मनभावन हैं ।
    वो नाते प्यारे थे
    करते मन शीतल
    चाँदी -से धारे थे ।
    बधाई ज्योत्सना जी ।
    सस्नेह - विभा रश्मि 👌👌👌

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  6. बहुत-बहुत सुंदर माहिया सखी ज्योत्स्ना प्रदीप जी ! एक-एक माहिया ज्यों एक-एक मोती जैसा ! बहुत-बहुत बधाई इस सुंदर सृजन के लिए आपको !

    ~सादर/सस्नेह
    अनिता ललित

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  7. सुंदर सृजन ज्योत्सना जी, बधाई!





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  8. मार्मिक सृजन....रिश्तों की यादें ताज़ा हो गई....बधाई ज्योत्सना जी

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  9. मार्मिक सृजन....रिश्तों की यादें ताज़ा हो गई....बधाई ज्योत्सना जी

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  10. सभी माहिया बहुत सुंदर ज्योत्स्नाजी ।बधाई

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  11. बहुत सुंदर माहिया ,ज्योत्स्ना जी बधाई |


    पुष्पा मेहरा


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  12. "वो नाते प्यारे थे
    करते मन शीतल
    चाँदी -से धारे थे ।....से ..नेकी न कभी मरती " तक बेहद ख़ूबसूरत भावों को पिरोया है सखी आपने !
    सभी एक से बढ़कर एक !!कहीं मधुर अहसास और कहीं दिल में यादों की टीस जगाती प्रस्तुति के लिए
    हार्दिक बधाई आपको !!

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  13. वाह ज्योत्स्ना जी सभी माहिया एक से एक बढ़कर हैं आपस के प्यार ,रिश्ते नातों की मज़बूती को दर्शाते हुए रचे गए हैं बहुत बहुत बधाई ।

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  14. वाह! मन को छू जाने वाला बहुत सुन्दर सृजन। एक से बढ़ कर एक माहिया।
    ज्योत्स्ना प्रदीप जी बहुत बधाई।

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  15. बहुत - बहुत आभार आप सभी का !!!

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