रविवार, 22 जनवरी 2017

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1-शशि पाधा
 1
वो पीर पुरानी थी
तुमसे पाई जो
इक प्रेम -निशानी थी
2
नभ छू लें तो कैसे
बीते लमहों को
हम भूलें तो कैसे
3
इक तू ना मानेगा
अधर सिले ,खोलें
जग सारा जानेगा
4
लगता मधुपान किया
साँसें महक उठीं
जब तेरा नाम लिया
5
बन धूप सुहाती है
याद तुम्हारी जब
आँगन में आती है
6
हम ओढ़े पहनेंगे
तेरी यादों को
चुनरी में बाँधेंगे
7
मधु भीगी बातों में
मोती बीन लिये
पूनो की रातों में
8
रातों का राही दे
झूठा सच लागे
जब चाँद गवाही दे
9
आँखों की निंदिया में
हर पल रहना तुम
माथे की बिन्दी में
10
कुछ बदली-बदली -सी
किरनों की चुनरी
कुछ मचली-मचली सी
-0-
2-डॉ.पूर्णिमा राय

1
शब्द प्रवाह
बेंधता निर्बाध ही
मन का द्वार
जाग जाती तृष्णाएँ
अर्थ की तलाश में!!
2
अर्थ ग्रहण
मिले तृप्ति पल की
शब्दों का खेल
भँवर ज्यों सागर 
घूमता त्यों मस्तिष्क !!
3
अर्थ विहीन
मृदु शब्दों का खेल 
उलझ गया
सुबह और शाम 
दो दिलों का तराना!!
4
शब्द- चातुर्य
बिगाड़े औ सँवारे
सदा सीरत 
शब्द के खेल  से ही
हो मुट्ठी में दुनिया!!
-0-
 

18 टिप्‍पणियां:

  1. शशि जी के सुन्दर माहिया। बधाई। सुरेन्द्र वर्मा।

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  2. शशि पाधा जी सुन्दर मनभावन माहिया
    पूर्णिमा राय जी बहुत सुंदर सार्थक सभी ताँका

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  3. हम ओढ़े पहनेंगे
    तेरी यादों को
    चुनरी में बाँधेंगे।
    शशि जी को भावपूर्ण माहिया के लिए बधाई ।
    पूर्णिमा जी के ताँका बहुत सुंदर ।बधाई ।
    शब्द- चातुर्य
    बिगाड़े औ सँवारे
    सदा सीरत
    शब्द के खेल से ही
    हो मुट्ठी में दुनिया!!
    सस्नेह विभा रश्मि


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  4. हम ओढ़े पहनेंगे
    तेरी यादों को
    चुनरी में बाँधेंगे।
    शशि जी को भावपूर्ण माहिया के लिए बधाई ।
    पूर्णिमा जी के ताँका बहुत सुंदर ।बधाई ।
    शब्द- चातुर्य
    बिगाड़े औ सँवारे
    सदा सीरत
    शब्द के खेल से ही
    हो मुट्ठी में दुनिया!!
    सस्नेह विभा रश्मि


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  5. शशि जी आपके माहिया मन को छू गए..... हार्दिक बधाई।
    पूर्णिमा जी बहुत सुन्दर सार्थक ताँका.....हार्दिक बधाई।

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  6. सुन्दर सृजन सर्वदा ही मन को मोह लेता है ....सुकून देता है !
    ..हार्दिक बधाई शशि पाधा जी..पूर्णिमा राय जी !

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  7. पूर्णिमा जी,सुंदर और सार्थक टंका के लिए बधाई | सभी मित्रों को मेरे माहिया की सराहना के लिए धन्यवाद |

    शशि पाधा

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  8. शशि जी बहुत सुन्दर लगे माहिया ।और पूर्णिमा जी ताँका भी बहुत अर्थपूर्ण है आप दोनों को बधाई ।

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  9. शशि जी इतने सुन्दर सृजन पर हार्दिक बधाई |डॉ पूर्णिमा जी आपके द्वारा रचे तांका मन को गहरे छु गए हार्दिक बधाई |

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  10. मोहक माहिया और तांका...दोनों रचनाकारों को
    हार्दिक बधाई !

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  11. बन धूप सुहाती है
    याद तुम्हारी जब
    आँगन में आती है ।
    बहुत मनमोहक...| मेरी बधाई...|

    शब्द- चातुर्य
    बिगाड़े औ सँवारे
    सदा सीरत
    शब्द के खेल से ही
    हो मुट्ठी में दुनिया!!
    सच्ची बात...| बहुत बधाई...|

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