1-कमला निखुर्पा
1
थी मैं अभिधा
गिनाए जो तुमने
लक्षण मेरे
बन गई व्यंजना
खुद को पहचाना ।
-0-
2-रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
मैं निरुत्तर
तेरा नेह-विस्तार
धरा से नभ
नहीं पा सका पार
भिगो रही बौछार ।
-0-
रमेश कुमार सोनी
1
नदी अकेली
प्यास बुझाने दौड़ी
बस्ती बसाती
प्रदूषित हो जाती
बचाओ नहीं बोली।
धूप की कूची
भित्ति चित्र पेड़ों के
रोज बनाती
सदा से ही अधूरी
छोटी –बड़ी हो जाती।
-0-
सभी ताँका सुंदर व्यंजक भाव -प्रधान !!!
जवाब देंहटाएंसादर बधाई !
सभी ताँका बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंSabhi rachnayen gahan abhivykti liye,sabhi ko hardik badhai...
जवाब देंहटाएंएक से एक बढकर ।
जवाब देंहटाएंआ.कमला जी
जवाब देंहटाएंआ.रामेश्वर सर जी
आ.रमेश सोनी जी
आप सभी ने विशिष्ट भावनाओं की उम्दा अंदाज से प्रस्तुति की है...आप सभी को नमन !!
बहुत अच्छे ताँका !
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई !!
सभी ताँका बहुत सुंदर हैं,बधाई |
पुष्पा मेहरा
बहुत बढ़िया सभी तांका।
जवाब देंहटाएंआप सभी रचनाकारों को बहुत बधाई।
सभी ताँका बहुत सुंदर मनभावन ..आप सबको हार्दिक बधाई ।
जवाब देंहटाएंसभी तांका बहुत अच्छे हैं...| मेरी बधाई...|
जवाब देंहटाएं