रविवार, 2 जुलाई 2017

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     पुष्पा मेहरा 
          
     स्याह रात है
    जाग आया है चाँद
    आज ईद का,
    मात्र चाँद ही नहीं
    संदेशा है ये
    प्रेम-भाईचारे का ,
    रोशनी मात्र !
    प्रात और रात का
    हरती तम
    पर कटार
    ज्ञान की सदा ही
    काटे जड़त्व,     
    यह मन हमारा
    है तानाशाह
    सुनता और करता
    सदा मन की ,
         भेद नीति अपना
    गाड़े स्तम्भ
    अपनी नीतियों के
    चले कुचालें
    जाल धर्मान्धता का
    बिछा कर ये 
    छलता जनता को
    प्रेम-दिखावा 
    पानी में परछाईं
    बना छलता
    गले लगाने बढ़ो
    तो फिसलता         
    पर अबकी चाँद
    अंधकार में
    उजाला साथ लाया 
    देगा खुशियाँ
    तोड़ देगा दीवार
    नफरत की
    मिलेंगे गले सब
    तोड़-खंजर,
    चाँद -सा होगा मन
    हर पल रोशन        

          -0-       

12 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत बढ़िया चोका पुष्पा मेहरा जी बधाई।

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  2. मेरे द्वारा रचे चोका को अपने ब्लॉग में स्थान देने के लिए सम्पादक द्वय का आभार |

    पुष्पा मेहरा

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  3. भूल सुधार
    पुन:- चोके की दसवीं-ग्यारहवीं पंक्ति इस प्रकार होगी
    पर कटार ज्ञान
    काटे जड़त्व
    नोट-'ज्ञान की सदा ही' पंक्ति हटानी है|
    आगे- यह मन हमारा
    है तानाशाह
    सुनता औ करता
    सदा मन की
    क्षमा चाहती हूँ मुझसे मात्राएँ गिनने में ग़लती हो गई थी,आशा है वर्णाधारित चोका अब ठीक होगा |
    पुष्पा मेहरा

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  4. पुष्पा दी बहुत प्यारा चौका । बधाई ।

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  5. बहुत बढ़िया चोका!
    पुष्पा मेहरा जी... बधाई!!

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  6. सुन्दर चोका...बहुत बधाई पुष्पा जी...|

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  7. क्षमा चाहती हूँ मुझसे मात्राएँ गिनने में ग़लती हो गई थी,आशा है वर्णाधारित चोका अब ठीक होगा |
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