मंगलवार, 2 अक्टूबर 2018

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मंजूषा मन

1
जीना मजबूरी है
खुशियों से अपनी
सदियों की दूरी है।
2
उस ओर सवेरे हैं
बातें झूठी सब
हर ओर अँधेरे हैं।
3

कैसे ताने बाने
जीवन चादर में
धागे खुद को ताने।


20 टिप्‍पणियां:

  1. सुंदर लयबद्ध महिये मंजूषा जी के।

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  2. उस ओर सवेरे हैं
    बातें झूठी सब
    हर ओर अँधेरे हैं।
    Bahut sahi kaha sachchai ko batan bahut bakhubi se kiya mahiya ke liye aapko badhai

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  3. मंजूषा जी मनमोहक माहिया।बहुत बहुत बधाई।

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  4. बहुत ही बेहतरीन माहिया
    हार्दिक बधाई मंजूषा जी

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  5. बहुत बढ़िया माहिया...मंजूषा जी बहुत बधाई।

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