शनिवार, 19 जनवरी 2019

851-जाड़े की धूप



1-डॉ.सुधा गुप्ता
1
पौष की हवा
कहे मार टहोका-
बता तो ज़रा
अब क्यों दुत्कारती
जेठ में दुलारती ।
2
सुबह  बस
ज़रा-सा झाँक जाती
दोपहर आ
छत के पीढ़े बैठ,
गायब होती धूप ।
3
जाड़े की धूप
पुरानी सहेली-सी
गले मिलती
नेह-भरी ऊष्मा  दे
अँकवार भरती ।
4
झलक दिखा
रूपजाल में फँसा
नेह बो गई
मायाविनी थी धूप
छूमन्तर हो गई ।
5
भागती आई
तीखी ठण्डी हवाएँ
सूचना लाईं
शीत-सेना लेकर
पौष ने की चढ़ाई ।
6
मेरे घर में
मनमौजी सूरज
देर से आता
झाँक, नमस्ते कर
तुरत भाग जाता ।
7
भोर होते ही
मचा है हड़कम्प
चुरा सूरज-
चोर हुआ फ़रार
छोड़ा नहीं सुराग।
8
सूरज-कृपा
कुँए- से आँगन में
धूप का धब्बा
बला की शोखी लिये
उतरा, उड़ गया।
9
शीत –ॠतु का
पहला कोहरा लो
आ ही धमका
अन्धी हुई धरती
राह बाट है खोई ।
10
बर्फ़ ढो लाई
दाँत किटकिटाती
पौष की हवा
सब द्वार थे बन्द
दस्तक दी ,न खुला ।
11
झोंक के मिर्च
शहर की आँखों में
लुटेरा शीत
सब कुछ उठाके
सरेशाम गायब ।
12
तीर -सी चुभी
खिड़की की सन्धि से
शातिर हवा
कमरे का सुकून
चुराकर ले गई ।

12 टिप्‍पणियां:

  1. जाड़े की धूप का इतना सुंदर वर्णन यह सुधा जी की लेखनी का ही कमाल है। बहुत बहुत बधाई।

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  2. "झोंक के मिर्च / शहर की आँखों में / लुटेरा शीत / सब कुछ उठाके / सरेशाम गायब।"
    - बहुत सुन्दर वर्णन शीत ऋतु का! बहुत बधाई!

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  3. ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 18/01/2019 की बुलेटिन, " बढ़ती ठंड और विभिन्न स्नान “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  4. बहुत ही सुंदर शब्द चित्र, हार्दिक बधाई आदरणीया।

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  5. एक से बढ़कर एक सुंदर ताँका ...इतना मनमोहक वर्णन सुधा जी की कलम से ही संभव है । सुधा की रचनाएँ सदा ही हॄदयस्पर्शी होती है । बहुत ही सुंदर सृजन .... सुधा जी को नमन

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  6. शीत का बहुत सुंदर चित्रण...हार्दिक बधाई आ. सुधा दी।

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  7. Bahut bhavpurn bahut bahut badhai sudha ji ki asha hai ab unka savathya theek hoga?

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  8. शब्द संयोजन कला- निष्णांत सुधा दीदी ने शीत काल का बहुत ही सुंदर सजीव चित्र खींचा है |सभी ताँका बहुत ही सुंदर-
    सरस हैं|
    पुष्पा मेहरा

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  9. सुधाजी सादर नमन आपके तांका पढ़कर लगता है मौसम ने साक्षात् ताँका रूप लेकर एक एक पंक्ति एक एक भाव को जिया है | सुधाजी आप अपने आप में पूरी संस्था है आपकी लेखनी आगे भी सालों साल यूँही अमृत बरसाती रहे |

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  10. एक से बढ़कर एक मनमोहक ताँका!
    सुधाजी की रचनाएँ मन को अनूठा सुकून देती हैंl आपको और आपकी लेखनी को हृदय से नमन !!

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  11. सुधा जी को पढना बेहद रोमांचक अनुभव होता है. बिम्ब बहुत अनूठा और भाव तो बस कमाल है. ढेरों बधाई सुधा जी को.

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  12. कितने प्यारे मनमोहक तांका हैं सभी...| मेरी बहुत बहुत बधाई आदरणीय सुधा जी को...|

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