शनिवार, 23 फ़रवरी 2019

856


1-तुम सागर हो मेरे
रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु'
1
तुम चन्दा अम्बर के
मैं केवल तारा
चाहूँगा जी भरके।
2
तुम केवल मेरे हो
साँसों में खुशबू
बनकरके घेरे हो।
3
जग दुश्मन है माना
रिश्ता यह दिल का
जब तक साँस  निभाना।
4
तुझको उजियार मिले
बदले में मुझको
चाहे अँधियार मिले।
5
तुम सागर हो मेरे
बूँद  तुम्हारी हूँ
तुझसे ही लूँ फेरे।
-0-
2-ताँका

कृष्णा वर्मा
1
भाई से भाई
ना रिश्ता कोई स्थायी
नफ़रत की
माचिस लिये हाथ
स्वयं लगाई आग।
2
मिटे संस्कार
मरा आपसी प्यार
निज आँगन
करके तक़सीम
करें द्वेष व्यापार।
3
कहते हवा
बदली ज़माने की
किसके माथे
मढ़ेगा कोई दोष
बैठे सब ख़ामोश।
4
आपा-धापी में
हड़बड़ाई फिरें
ज़िंदगानियाँ
भूले हैं अपनापा
मन में दु:ख व्यापा।
5
वक़्त निकाल
कर लो स्वजनों से
दो मीठी बात
रहेगा मलाल जो
टँग गए दीवाल।
6
जंगल -बस्ती
घेरे हैं उलझनें
बाँटो दिलासा
मर न जाए कोई
कहीं यूँ बेबसी से।
7
शाह नवाब
तख़्त रहे न ताज
दंभ क्यों सींचे
आज माटी ऊपर
औ कल होंगे नीचे।
8
रखा संदेह
रूठे रहे हमसे
रूह छूटेगी
न उठाकर
रो-रो करोगे बातें।
9
रिश्ते में मोच
मलाल की खोह में
जा बैठे सोच
अमावसी रातें हों
उदासियों के डेरे।
10
रहनुमाई
सौंपी जिन्हें हमने
जले हैं घर
उन्हीं की साजिशों से
कैसे थे मनसूबे।
-0-

22 टिप्‍पणियां:

  1. तुझको उजियार मिले
    बदले में मुझको
    चाहे अँधियार मिले।
    सभी माहिया बहुत सुंदर

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  2. कृष्णा जी बहुत सुंदर ताँका। बधाई

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  3. सभी माहिया और ताँका बहुत ही सुंदर स्पष्ट है। प्रेमभाव ,रिश्ते,संसार सब विषय बड़ी सुंदरता से समेटे हुए है सभी रचनाएँ।

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  4. एक से बढ़कर एक माहिया और ताँका ।
    काम्बोज सर और कृष्णा जी को सुंदर सृजन के लिए बधाइयाँ

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  5. रत्नाकर दीदी जी ,प्रिय बेटी पूनम ,पूर्वा जी,हार्दिक आभार

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  6. तुम सागर हो मेरे\बूँद तुम्हारी हूँ \तुझसे लूँ फेरे | दर्शन कहूँ या दर्शन आधारित जीवन को सम्पादित करता माहिया एक गहरा भाव सिन्धु है,मैं तो इसको पढ़ कर ऐसा ही समझी हूँ ,कम्बोज भाई जी की भावों की उड़ान अतुल्य है | कृष्णा वर्मा जी के सभी ताँका आततायियों द्वारा पैदा की गई वर्तमान दुखद स्थिति के प्रति क्षोभ प्रकट करते हुए मन में एक छटपटाहट पैदा कर रही है | सुंदर शब्द संरचना हेतु दोनों को ही बधाई |

    पुष्पा मेहरा

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  7. बहुत दिनों बाद भावपूर्ण माहिया एवं ताँका पढ़ने को मिले| रचनाकार के लिए अच्छा पढना ही प्रेरणा देता है | मैं आज कल सक्रिय नहीं हूँ लेकिन इन्हें पढ़ कर प्रेरित हुई हूँ| भैया रामेश्वर जी एवं कृष्णा वर्मा जी को सुंदर रचनाओं के लिए बधाई |

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  8. सभी माहिया एवं ताँका अत्यंत भावपूर्ण हैं । सुंदर रचनाओं के लिए हार्दिक बधाई ।

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  9. लाजवाब सभी माहिया...हार्दिक बधाई भाईसाहब।

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  10. तांका पसंद करने के लिए आप सभी प्रिय मित्रों का तहदिल से आभार।

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  11. भावपूर्ण माहिया और तांका।

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  12. सुंदर लयपूर्ण माहिया व मानव व्यवहार के कई रूपों को परिलक्षित करते ताँका बहुत अच्छे लगे।

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  13. बहुत ही भावपूर्ण एवं एवं उम्दा सृजन
    तांका एवं माहिया सभी बहुत उम्दा

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  14. उत्तर

    1. तुम सागर हो मेरे
      बूँद तुम्हारी हूँ
      तुझसे ही लूँ फेरे।

      और

      शाह नवाब
      तख़्त रहे न ताज
      दंभ क्यों सींचे
      आज माटी ऊपर
      औ कल होंगे नीचे।

      अति सुन्दर !

      गहन भाव लिए बेहद ख़ूबसूरत रचनाएँ हैं l मन प्रसन्न हुआ... .आद. भैया जी तथा कृष्णा जी को ढेरों बधाई !

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  16. सुंदर रचनाएँ , बधाई ।
    रमेश कुमार सोनी , बसना , छत्तीसगढ़

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  17. वाह भाई कम्बोज जी बहुत खूब सृजन है माहिया का ,कृष्णा जी के भी तांका मनभावन हैं आप दोनों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं |

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  18. मन छू जाने वाले माहिया और तांका हैं...| आदरणीय कम्बोज जी और कृष्णा जी को बहुत बहुत बधाई...|

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  19. हृदयस्पर्शी माहिया और ताँका. बधाई काम्बोज भाई एवं कृष्णा जी.

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