गुरुवार, 18 जुलाई 2019

874


शशि पाधा
1
चुप थी मैं भी
और मौन तुम भी
तुम्हारा स्पर्श
कुछ पिघला गया
मौन मुखर हुआ।
2
मेघा गरजे
गाने लगी बदली
राग  मल्हार
शाख- शाख पी रही
रिमझिम  फुहार।
3
आज भोर ने
घबराते-लजाते
ओढ़ ली धूप
मौसम गुनगुनाया
स्वर्ण सौगात लाया ।
4
शांत झील में
तैरना चाँदनी का
या कोई गीत
पहाड़ में गूँजना
सौन्दर्य-इन्द्रजाल।
 5
रहूँ ,न रहूँ
फर्क नहीं पड़ता
क्या किया मैंने
वही है मेरा नाम
वही पहचान भी।
-0-

14 टिप्‍पणियां:

  1. ताजगी लिए हुए सुंदर तांका।बधाई शशि जी

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत अच्छी रचनाएँ, बधाई शशि जी।

    जवाब देंहटाएं
  3. शाख शाख पी रही.... कितनी बार पढ़ चुकी.... प्यास ही नही बुझ रही.....अति सुंदर।

    जवाब देंहटाएं
  4. मौन मुखर हुआ और राग मल्हार गूंज उठे .....
    अच्छी रचनाएँ , बधाई ।

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत सुन्दर रचनाएँ ।बधाई आपको ।

    जवाब देंहटाएं
  6. मनभावन रचनाएँ ... बहुत सुंदर

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत मनमोहक रचनाएँ ....हार्दिक बधाई आद. शशि जी !!

    जवाब देंहटाएं
  8. शशि जी वर्षा ऋतु के भीगे भीगे हाइकु ।सुखद ।बधाई ।

    जवाब देंहटाएं
  9. बहुत प्यारे ताँका! हार्दिक बधाई शशि दीदी!

    ~सादर
    अनिता ललित

    जवाब देंहटाएं
  10. बहुत बढ़िया रचना शशि जी हार्दिक बधाई |

    जवाब देंहटाएं
  11. बहुत सुंदर ताँका...बधाई शशि जी।

    जवाब देंहटाएं
  12. प्यारे ताँका के लिए बहुत बधाई शशि जी

    जवाब देंहटाएं