शनिवार, 20 जुलाई 2019

875-माहिया के दो रंग


4-पूनम सैनी
1-रोशन मुझसे घर है
1
तुम चाँद चकोरी हो।
जगमग जगती हो,
चंदा- सी गोरी हो।
2
सच देखो ये गर है-
बिल बिजली का दो,
रोशन मुझसे घर है।
3
झाँझर घड़वादो ना;
कितनी कोरी है,
चूनर रँगवादो ना।
4
क्या नाच दिखाओगी?
पागल पहले हो,
जोकर बन जाओगी।
-0-
2-हर सीमा  कहती है-
1
जननी है वीरों की
भारत की धरती
माता रणधीरों की
2
पावन ये धरती है 
प्रेम -भरी देखो
मन हर्षित करती है।
3
पैरों में छाले हैं
सरहद के फिर भी 
सैनिक रखवाले हैं।
4
हर सीमा  कहती है-
रग में वीरों की
ज्वाला ही बहती है
5
वीरों का क्या कहना 1
डोरी फाँसी की
इनका प्यारा गहना।
-0-

16 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुंदर रचनाऐं.. आपको बधाई पूनम जी!

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  2. हार्दिक बधाई, सुन्दर सृजन। पूनम लिखती रहो।

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  3. सभी माहिया बहुत ख़ूबसूरत!
    हार्दिक बधाई पूनम जी!

    ~सादर
    अनिता ललित

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  4. आप सभी का बहुत बहुत शुक्रिया इस प्यार के लिए।🙏

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  5. सभी माहिया बहुत सुंदर।हार्दिक बधाई पूनम ।

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  6. सभी माहिया बहुत ख़ूबसूरत ....
    हार्दिक बधाई पूनम जी !

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  7. सभी माहिया बहुत ख़ूबसूरत ....
    हार्दिक बधाई पूनम जी !

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  8. सभी रचनाएँ बहुत सुन्दर ।बधाई आपको ।

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  9. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  10. पूनम जी हार्दिक बधाई सभी माहिया बढ़िया सृजन हैं |

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  11. सुन्दर माहिया के लिए पूनम जी को बहुत बधाई.

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  12. बहुत ख़ूबसूरत माहिया...हार्दिक बधाई पूनम जी।

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  13. बहुत मीठे माहिया बधाई पूनम जी ।

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  14. सुन्दर माहिया के लिए बधाई पूनम जी को

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