गुरुवार, 15 अगस्त 2019

880


कमला निखुर्पा

ढूँढे बहिन
भैया की कलाइयाँ
नेह की डोर 
बाँधती चहूँ ओर
छूटा पीहर 
बसा भाई विदेश 
सूना है देश 
आओ घटा पुकारे 
राह निहारे 
गाँव की ये गलियाँ 
नीम की छैयाँ
गर्म चूल्हे की रोटी 
गागर-जल 
आँगन की गौरैया 
बहना तेरी 
लगे सबसे न्यारी 
सोनचिरैया 
पुकारे भैया-भैया !!
सज-धजके
रँगी चूनर लहरा
घर भर में
पैंजनिया छनका 
बिजुरी बन 
चित्र;गूगल से साभार
ले हाथों में आरती 
रोली-तिलक
माथे लगा अक्षत 
भाई दुलारे 
डबडबाए नैन 
छलक जाए  
पाके एक झलक
जिए युगों तलक !!!
-0-

18 टिप्‍पणियां:


  1. बहुत ही भावपूर्ण सुंदर चोका है |
    पुष्पा मेहरा

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत मनभावन चोका है आदरणीय कमला जी।
    रक्षाबंधन की बधाई, शुभकामनाएँ ।

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत मनभावन चोका है आदरणीय कमला जी।
    रक्षाबंधन की बधाई, शुभकामनाएँ ।

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत सुंदर, मन को छू गया।

    जवाब देंहटाएं
  5. भावपूर्ण चोका।बधाई कमला जी।

    जवाब देंहटाएं
  6. सुंदर रचना
    हार्दिक शुभकामनाएँ

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत ही सुंदर , भावपूर्ण सृजन

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत भावपूर्ण और सुंदर...बहुत बधाई

    जवाब देंहटाएं
  9. अति सुंदर,भावपूर्ण सृजन.....बधाई कमला जी!!

    जवाब देंहटाएं
  10. मन को छू गया चोका, बहुत बधाई कमला जी.

    जवाब देंहटाएं