शनिवार, 28 सितंबर 2019

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डॉ0 सुरंगमा यादव
1
विकल पल
आतुर आलिंगन
ढूँढते हर पल
प्रिय सान्निध्य
ओह!जग बंधन
अधरों पे क्रन्दन!
2
गहरी रात
मन में खिल रहा
नित नव प्रभात
प्रिय का साथ
सब ओर उजास
नैनों में मृदु हास
3
तुम्हारा साथ
पंख लगे हजारों
मन के एक साथ
दूर गगन
आया कितना पास
हो गयी पूरी आस
4
कोई हो ऐसा
हर ले जो मन के
सारे दुःख- संताप
अश्रुजल में
खिला दे जो पल में
शत प्रेम कमल
5
घटाओ सुनो !
अभी न बरसना
राह में है कहीं वो
व्यग्र होके मैं
द्वार पर हूँ खड़ी
लगाना मत झड़ी
-0-

10 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुंदर रचना सुरंगमा जी, खूब छलकी प्रेम की गागर!
    नैनों में मृदु हास
    दूर गगन आया कितने पास
    अश्रुजल में खिला दे....प्रेम कमल!
    बहुत बढ़िया!!

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  2. शानदार रचना।
    कहीं प्रेम भाव तो कहीं तड़फ, इंतजार सब कुछ है।
    पधारें - शून्य पार 

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  3. बहुत ही बहतरीन सृजन , मन में उतरती हुई ।
    हार्दिक बधाई

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  4. बहुत सुंदर उत्कृष्ट सृजन।बधाई

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  5. बहुत सुंदर एवं भावपूर्ण ! बहुत बधाई सुरंगमा जी!

    ~सादर
    अनिता ललित

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  6. वाह वाह डॉ.सुरंगमा जी प्रेम रस में सने बसे इतने सुंदर सेदोका रचे हैं कि मन भाव विभोर हो गया हार्दिक बधाई स्वीकारें |

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  7. मनभावन सुंदर सेदोका सुरंगमा जी ...
    हार्दिक अभिनंदन

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  8. बहुत सुंदर एवं भावपूर्ण सृजन....बहुत बधाई सुरंगमा जी!

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