रविवार, 5 जनवरी 2020

897-मैं सूरज हूँ


रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’

मैं सूरज हूँ
अस्ताचल जाऊँगा
भोर होते  ही
फिर चला आऊँगा
द्वार तुम्हारे
किरनों का दोना ले
गीत अर्घ्य दे
मैं गुनगुनाऊँगा
रोकेंगे लोग,
न रुकूँगा  कभी मैं
मिटाना चाहें
कैसे मिटूँगा भला
खेत-क्यार में
अंकुर बनकर
उग जाऊँगा
शब्दों के सौरभ से
सींच-सींच मैं
फूल बन जाऊँगा
आँगन में आ
तुमको रिझाऊँगा
छूकर तुम्हें
गले लग जाऊँगा
दर्द भी पी जाऊँगा।
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20 टिप्‍पणियां:

  1. मैं सूरज हूँ ... बहुत ही सुन्दर, सूरज का तो काम ही है सृष्टि के साथ साथ चलते रहना

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  2. सूरज की महत्ता दर्शाता सुन्दर सृजन है भाई काम्बोज जी | हार्दिक बधाई |

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  3. सूरज है तो सृष्टि है।बहुत सुंदर मनमोहक चोंका भैया।बधाई

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  4. सूरज पर सूरज सा ही जगमगाता चोका,बहुत ही सुन्दर और प्रेरक भी.... हार्दिक बधाई भैया जी !

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  5. बहुत सुन्दर चोका।बधाई भैया जी ।

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  6. सुन्दर चोका! बधाई काम्बोज जी !

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  7. बेहतरीन चौका आदरणीय भाई साहब, बधाई स्वीकारें! काश हम सब भी सूरज की तरह निःस्वार्थ बन पाते।

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  8. बहुत सुंदर चोका .... हार्दिक शुभकामनाएँ स्वीकार करें।

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  9. वाह,बहुत सुंदर चोका, सूर्य की ऊर्जा जीवनदायिनी ह,उसी प्रकार प्रेम की ऊर्जा भी जीवनदायिनी है,व्यञ्जना का सुंदर प्रयोग है।नमन।

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  10. आत्मविश्वास से भरपूर बहुत सुन्दर चोका। बधाई सर जी।

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  11. बेहतरीन चोका , ऊर्जा बिखेरता रहा । हार्दिक बधाई हिमांशु भाई ।

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  12. आप सबने मेरा चोका पसन्द किया, इस उदारता के लिए आप सबका कृतज्ञ हूँ

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  13. सूरज से ही तो दुनिया है, ये समस्त सृष्टि है...| सूरज की ही जगमगाहट से भरा है ये चोका भी...| मेरी हार्दिक बधाई स्वीकारें...|

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  14. बहुत ख़ूबसूरत चोका...हार्दिक बधाई भाईसाहब।

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  15. सृष्टि का यही क्रम है और सूरज इस जीवन यात्रा का सारथि भी है | कम शब्दों में बहुत गहन जीवन दर्शन है इस रचना में | बधाई स्वीकारें आदरणीय रामेश्वर काम्बोज जी |

    शशि पाधा

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  16. गीत अर्घ्य
    लाजवाब है, बधाई।

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  17. बहुत ही बेहतरीन चोका ।
    हार्दिक बधाई भैया जी

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  18. बहुत सुंदर चोका! सूरज की भाँति ही ओजपूर्ण!
    हार्दिक बधाई आदरणीय भैया जी!

    ~सादर
    अनिता ललित

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