रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
मैं सूरज हूँ
अस्ताचल जाऊँगा
भोर होते ही
फिर चला आऊँगा
द्वार तुम्हारे
किरनों का दोना ले
गीत अर्घ्य दे
मैं गुनगुनाऊँगा
रोकेंगे लोग,
न रुकूँगा कभी मैं
मिटाना चाहें
कैसे मिटूँगा भला
खेत-क्यार में
अंकुर बनकर
उग जाऊँगा
शब्दों के सौरभ से
सींच-सींच मैं
फूल बन जाऊँगा
आँगन में आ
तुमको रिझाऊँगा
छूकर तुम्हें
गले लग जाऊँगा
दर्द भी पी जाऊँगा।
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मैं सूरज हूँ ... बहुत ही सुन्दर, सूरज का तो काम ही है सृष्टि के साथ साथ चलते रहना
जवाब देंहटाएंसूरज की महत्ता दर्शाता सुन्दर सृजन है भाई काम्बोज जी | हार्दिक बधाई |
जवाब देंहटाएंसूरज है तो सृष्टि है।बहुत सुंदर मनमोहक चोंका भैया।बधाई
जवाब देंहटाएंसूरज पर सूरज सा ही जगमगाता चोका,बहुत ही सुन्दर और प्रेरक भी.... हार्दिक बधाई भैया जी !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चोका।बधाई भैया जी ।
जवाब देंहटाएंसुन्दर चोका! बधाई काम्बोज जी !
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर चोका। बधाई भैया
जवाब देंहटाएंबेहतरीन चौका आदरणीय भाई साहब, बधाई स्वीकारें! काश हम सब भी सूरज की तरह निःस्वार्थ बन पाते।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर चोका .... हार्दिक शुभकामनाएँ स्वीकार करें।
जवाब देंहटाएंवाह,बहुत सुंदर चोका, सूर्य की ऊर्जा जीवनदायिनी ह,उसी प्रकार प्रेम की ऊर्जा भी जीवनदायिनी है,व्यञ्जना का सुंदर प्रयोग है।नमन।
जवाब देंहटाएंआत्मविश्वास से भरपूर बहुत सुन्दर चोका। बधाई सर जी।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन चोका , ऊर्जा बिखेरता रहा । हार्दिक बधाई हिमांशु भाई ।
जवाब देंहटाएंआप सबने मेरा चोका पसन्द किया, इस उदारता के लिए आप सबका कृतज्ञ हूँ
जवाब देंहटाएंसूरज से ही तो दुनिया है, ये समस्त सृष्टि है...| सूरज की ही जगमगाहट से भरा है ये चोका भी...| मेरी हार्दिक बधाई स्वीकारें...|
जवाब देंहटाएंबहुत ख़ूबसूरत चोका...हार्दिक बधाई भाईसाहब।
जवाब देंहटाएंसृष्टि का यही क्रम है और सूरज इस जीवन यात्रा का सारथि भी है | कम शब्दों में बहुत गहन जीवन दर्शन है इस रचना में | बधाई स्वीकारें आदरणीय रामेश्वर काम्बोज जी |
जवाब देंहटाएंशशि पाधा
आप सबका बहुत आभार
जवाब देंहटाएंगीत अर्घ्य
जवाब देंहटाएंलाजवाब है, बधाई।
बहुत ही बेहतरीन चोका ।
जवाब देंहटाएंहार्दिक बधाई भैया जी
बहुत सुंदर चोका! सूरज की भाँति ही ओजपूर्ण!
जवाब देंहटाएंहार्दिक बधाई आदरणीय भैया जी!
~सादर
अनिता ललित