ज्योत्स्ना प्रदीप
1
हथेली पर
जब भी शूल
उगे
खुद को छील लिया
होंठों ने तेरे
चुग लिया प्यार से
हर काँटा दर्दीला !
2
कुछ काँटें थे
जो मन में चुभोए
हम बहुत
रोये
ग़म इतना
जिसको दिया प्यार
वो ही दे गया ख़ार !
3
तेरी वो पाती
आज तक
सहेजी
तुमने थी जो भेजी
भरी आँखों से,
अश्रु -धारा के साथ
मलयानिल हाथ !
-0-
बहुत ही सुंदर भावपूर्ण सेदोका।हार्दिक बधाई ज्योत्सना जी
जवाब देंहटाएंदर्द बयाँ करते सेदोका ...
जवाब देंहटाएंसुंदर सृजन
हार्दिक शुभकामनाएँ ज्योत्स्ना जी
बेहद खूबसूरत और मार्मिक सेदोका। आपको बधाई ज्योसना जी!!चुग लिए प्यार से...बहुत खूब।
जवाब देंहटाएंमार्मिक भाव से ओत प्रोत सेदोका हैं ज्योत्स्ना जी बधाई |
जवाब देंहटाएंबहुत ही भावपूर्ण , उम्दा सृजन
जवाब देंहटाएंहार्दिक बधाई 💐💐
मेरी रचनाओं को स्थान देने के लिए सम्पादक द्वय का हार्दिक आभार करती हूँ... आप सभी साथियों का भी हृदय से धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंसुंदर मर्मस्पर्शी सेदोका... बधाई ज्योत्स्ना जी।
जवाब देंहटाएंमार्मिक सेदोका ज्योत्स्ना जी साथ में प्रेम का संचार भी करते हैं | बधाई |
जवाब देंहटाएंभावप्रवण सेदोका । ज्योत्स्ना जी हार्दिक बधाई लें ।
जवाब देंहटाएंअतिसुन्दर एवं भावपूर्ण सेदोका ज्योत्स्ना जी। बहुत बधाई आपको इस सुंदर सृजन के लिए!
जवाब देंहटाएं~सस्नेह
अनिता ललित
आद.शशिजी,विभा जी एवँ सखी अनिता जी .. मेरा हौसला बढ़ाने के लिए आप सभी का हृदय से आभार !!
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