ज्योत्स्ना प्रदीप
1
ये प्रीत
निराली है
पग पायल
बाँधी
कितनी मतवाली है ।
2
जब मोहन मीत बना
पायल की छम- छम
बिरहा का गीत बना ।
3
माना मैं
ना मीरा
तेरा नाम
लिए
मन को मैंने
चीरा ।
4
राधा -सा
भाग नहीं
तुझसे मिलने की
क्या मुझमें आग नहीं?
5
अब श्याम सहारा दो
तुम बिन नाच रही
सुर की नव - धारा
दो ।
6
मीरा ना राधा
हूँ
तेरा नाम लिया
बोलो क्या बाधा हूँ
7
मन में तुम आते हो
मन - केकी नाचे
जब सुर बरसाते हो ।
8
मोहन वो
लूट गया
पायल का मोती
उसके दर
छूट गया !
9
पीड़ा अब अठखेली
मेरी पीर सभी
खुद मोहन ने ले लीं ।
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bahut sundar!
जवाब देंहटाएंप्रेम और विरह के सुंदर माहिया।ज्योत्स्ना प्रदीप जी को बधाई।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर भावपूर्ण माहिया।बधाई ज्योत्सना
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर माहिया।बधाई ज्योत्सना जी ।
जवाब देंहटाएंवाह! सुंदर माहिया ज्योत्स्ना जी
जवाब देंहटाएंहार्दिक बधाइयाँ
सभी माहिया खूबसूरत हैं प्रभु प्रेम में मग्न मीरा से प्रभावित और विरह पीड़ा में सने माहिया हैं हार्दिक बधाई |
जवाब देंहटाएंवाह! ज्योत्स्ना जी एक से बढ़कर एक माहिया, बड़ा आनन्द आया, आपको ढेर सारी शुभकामनाएँ!!
जवाब देंहटाएंवाह बहुत ही शानदार सृजन ....बधाई सहित शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंराधा , कृष्ण ,मीरा पर केंद्रित सुंदर अभिव्यक्ति , बधाई ।
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण सृजन बधाई आपको।
जवाब देंहटाएंआद.भैया जी एवँ बहन हरदीप जी का हृदय से आभार मेरे माहिया को यहाँ स्थान देने के लिए ! आप सभी साथियों का भी दिल से शुक्रिया !
जवाब देंहटाएंप्यारे-प्यारे माहिया के लिए बहुत बधाई ज्योत्सना जी
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