मंगलवार, 20 अक्टूबर 2020

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 1-रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’

1

छोटी-सी नाव

तैरा निंदा का सिन्धु

डुबाने वाले लाखों,

फिर भी बचे

प्रिय आओ ! यों करें

कुछ दर्द बुहारें।

2

मूक हैं गान

अश्रु में डूबा नभ

बिछुड़ गई धरा,

प्राण विकल

जीने के लिए नित

मरे कई मरण।

-0-

2-डॉ.महिमा श्रीवास्तव

1

मन उलझे

विचित्र धागे होते

प्रेम के ताने-बाने,

जो सुलझा

और फँसता जा

उलझा रह जा

2.

अन्याय बढ़े

धैर्य डगमगा

अवसाद से घिरे

प्रभु का जाप

हरे मन की पीड़ा

भरे जय की ऊर्जा।

      -0-

19 टिप्‍पणियां:

  1. अत्यंत सार्थक सेदोका, श्री रामेश्वरजी।
    बधाई।

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  2. कुछ दर्द बुहारें अद्भुत व्यंजना हुई है। बहुत बधाई

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  3. प्रेम के ताने-बाने,

    जो सुलझाए

    और फँसता जाए

    यही होता है महिमा जी सुंदर लिखा आपने बधाई

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  4. कुछ दर्द बुहारें...
    जो सुलझाए और फंसता जाए..
    आदरणीय कांबोज भाई साहब एवम महिमा जी के अत्यंत भावपूर्ण सेदोका, बहुत बहुत बधाई!!

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  6. वाह! अप्रतिम! लाजवाब! 'दर्द की अपनी ही एक अदा है, वह सहने वालों पर ही फ़िदा है!' -कहीं पढ़ा था। आदरणीय भैया जी के सेदोका पढ़कर याद आ गई ये पंक्ति! आपको एवं आपकी लेखनी को नमन आ.भैया जी!
    प्रेम के ताने-बाने, जितना सुलझाएँ, उतना ही उलझें - सत्य एवं बहुत सुंदर अभिव्यक्ति महिमा जी! बहुत बधाई आपको!

    ~सादर
    अनिता ललित

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  7. सुंदर सेदोका आदरणीय काम्बोज जी एवं महिमा जी को बधाई । निंदा का सिंधु और दर्द बुहारें अच्छा प्रयोग है -सुंदर ।

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  8. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" गुरुवार 22 अक्टूबर अक्टूबर 2020 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  9. भाई काम्बोज जी और महिमाजी अति सुन्दर अभिव्यक्ति है सेदोका में बंधी हुई | हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई |

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  10. बहुत ही सुंदर भावपूर्ण सेदोका...भाई काम्बोज जी तथा महिमा जी को हार्दिक बधाई।

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  11. भावपूर्ण सुंदर सेदोका के लिए काम्बोज सर एवं महिमा जी को हार्दिक बधाइयाँ

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  12. कुछ दर्द बुहारें... अद्भुत. सभी सेदोका बहुत भावपूर्ण हैं. काम्बोज भाई और महिमा जी को हार्दिक बधाई.

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  13. अनुपम, भावपूर्ण सेदोका ।काम्बोज जीऔर महिमा जी को हार्दिक बधाई ।

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  14. कुछ दर्द बुहारें...अद्भुत।
    बेहद सुन्दर और भावपूर्ण सेदोका।
    आदरणीय श्री काम्बोज जी की लेखनी को नमन।
    महिमा जी को हार्दिक बधाई।
    सादर।

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  15. कुछ दर्द बुहारें...अद्भुत।
    बेहद सुन्दर और भावपूर्ण सेदोका।
    आदरणीय श्री काम्बोज जी की लेखनी को नमन।
    महिमा जी को हार्दिक बधाई।
    सादर।

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  16. कुछ दर्द बुहारें... बहुत खूब भैया जी !
    सभी सेदोका बहुत सुन्दर और भावपूर्ण..आदरणीय भैया जी और महिमा जी को हार्दिक बधाई !!

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  17. बहुत सुन्दर सेदोका।बधाई स्वीकारें ।

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