बुधवार, 28 अक्टूबर 2020

939-रघुवर आ जाओ

 

 ज्योत्स्ना प्रदीप

1

आलोकित करती  है

छवि रघुनंदन  की

मन मोहित करती  है ।

2

जयघोष सभी  करते

जब -जब पाप बढ़ा

तुम रूप नया धरते ॥

3

रावण  को मारा  था

विजय दिवस की जय

धरती को तारा  था।

4

इस दिन का मान करो

विजय धरम की  है

रघुवर का ध्यान करो।

5

जग फिर से  दुखियारा

राघव आ जाओ

कर दो फिर उजियारा ।

 6

पीड़ा में  हर  सीता

जो जितना  पावन

दुख जीवन में बीता!

7

जग  बहुत दुखी, रोगी

रघुवर  अब  आओ

घायल साधू,जोगी।

         -0-

13 टिप्‍पणियां:

  1. विजयदशमी पर्व पर प्रभु श्री राम की महत्ता को बतलाते हुए दुःखों से मुक्ति हेतु उनका आवाहन करते सुंदर माहिया।बधाई ज्योत्स्ना प्रदीप जी।

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  2. श्रीराम की महिमा का गुणगान करते हुए बहुत सुंदर माहिया।प्रभु राम का नाम ही हमें दुखों से मुक्ति दिला सकता हैं।बहुत बहुत बधाई ज्योत्सना जी ।

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  3. ज्योत्स्ना जी , कितने सुंदर,संगीतमय माहिया रचे हैं आपने, मन खुश हो गया पढ़कर....पीड़ा में हर सीता..!!आपको अनेकों बधाई, एवम शुभकामनाएँ!

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  4. मेरे माहिया को यहाँ स्थान देने के लिए आदरणीय भैया जी और प्यारी बहन हरदीप जी का हृदय-तल से आभार करती हूँ।आदरणीय शिवजी,आदरणीया रत्नाकर दीदी,महिमा जी और प्रीति जी का भी हार्दिक आभार।

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  5. अच्छे माहिया की बधाई , विजयादशमी का चित्र उभर आया ।

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  6. श्री राम को समर्पित सुन्दर माहिया।बहुत-बहुत बधाई ।

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  7. विजयदशमी पर लिखे गये परम पिता से दुखों -नई-नई अनंत पीड़ाओं का अंत करने की प्रार्थना करते सुंदर भाव प्रधान हाइकु के लिए ज्योत्स्ना जी आपको ढेरों बधाई

    पुष्पा मेहरा

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  8. सुंदर माहिया ...हार्दिक बधाइयाँ ज्योत्स्ना जी

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  9. विजयादशमी के पर्व के उपलक्ष्य में कहे गये सार्थक माहिया के लिये बधाई ।

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  10. मेरा मनोबल बढ़ाने के लिए आप सभी का हृदय से आभार!

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  11. भक्तिभाव से ओतप्रोत इन सुन्दर माहिया के लिए मेरी बहुत बधाई

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