1-डॉ. सुरंगमा यादव
1
ये प्रीत पुरानी है
अधरों पर फैली
मुसकान निशानी है।
2
चंदा जब आता है
रह-रह कर मन में
इक हूक उठाता है।
3
जन्मों के नाते हैं
जब तुमको देखूँ
नैना सुख पाते है।
4
पाया तुमको जब से
भाग्य बड़ा अपना
प्यारा लगता तब से।
5
अब दूर न जाएँगे
सुख-दुःख जीवन के
हम संग उठाएँगे।
6
रीता मन का प्याला
तुमने पल भर मे
प्रेम-सुधा भर डाला।
-0-
प्रेम-सुधा भर डाला
जवाब देंहटाएंकितने सुंदर माहिये हैं। बधाई।
बेहद सुन्दर माहिया!
जवाब देंहटाएंहार्दिक बधाई आदरणीया!
सादर
सुंदर माहिया , बधाई ।
जवाब देंहटाएंबहुत प्यारी रचनाएं
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर माहिया । हार्दिक बधाई डॉ.सुरंगमा जी ।
जवाब देंहटाएंबेहद खूबसूरत माहिया सुरँगमा जी, बड़ा आनन्द आया..रीता मन का प्याला, प्रेम-सुधा भर डाला!!....
जवाब देंहटाएंसभी माहिया बहुत सुंदर,मधुरता से परिपूर्ण।हार्दिक बधाई डॉ. सुरंगमा जी।
जवाब देंहटाएंहृदयतल से आप सभी का आभार ।काम्बोज भैया रचनाएँ प्रकाशित करके सदैव प्रोत्साहित करते हैं मैं पुनः पुनः आभारी हूँ ।
जवाब देंहटाएंसुंदर भावपूर्ण माहिया
जवाब देंहटाएंहार्दिक बधाइयाँ सुरंगमा जी
बहुत ख़ूबसूरत माहिया...हार्दिक बधाई सुरंगमा जी।
जवाब देंहटाएंसुंदर माहिया सुरंगमा जी। बधाई
जवाब देंहटाएंभावना सक्सैना
बहुत सुंदर तथा भावपूर्ण माहिया !
जवाब देंहटाएंहार्दिक बधाई सुरंगमा जी !
भावप्रवण माहिया के लिए बहुत बधाई
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