अंजु दुआ जैमिनी
1
कलम जगी
सैर पर निकली
भाव समेटे
कागज़ को चूमती
कविता उग आई।
2
नाचती नदी
झूमते पेड़- पौधे
गाता सागर
आदमी आ धमका
जेबों में भर गया।
3
बीमारी घेरे
अपने भी पराए
स्याह सवेरे
सेहत की दौलत
बचाकर रखना।
4
बेटियाँ आईं
माँ की सालगिरह
ममता भीगी
बचपन की बातें
कोने- कोने से झाँकें।
5
बादल- बाहें
बारिश जो फिसली
मोर मुस्काया
सूरज धुंधलाया
खेत खिलखिलाया।
-0-
बहुत बहुत धन्यवाद आपका मेरी रचनाओं को पत्रिका में स्थान देने के लिए। ह्र्दयतल से आभार
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर👏👏👏
जवाब देंहटाएंजी बहुत बहुत धन्यवाद
हटाएंबहुत अच्छे ताँका-बधाई। आपसे एक पृथक ताँका संग्रह की अपेक्षा है-आपमें संभावनाएँ हैं।
जवाब देंहटाएंआपकी आज्ञा शिरोधार्य। कार्य प्रगति पथ पर है
हटाएंशानदार रचना बधाई आपको
जवाब देंहटाएंधन्यवाद आपका
हटाएंशानदार ताँका
हटाएंबहुत सुंदर
हटाएंधन्यवाद प्रिय
जवाब देंहटाएंProud of you 💕Dear Anju
जवाब देंहटाएंआपका त्रिवेणी के मंच पर हार्दिक स्वागत है।
जवाब देंहटाएंआपकी सुंदर रचनाओं की प्रतिक्षा रहेगी।
बहुत सुंदर प्रिय अंजु
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रयास है अंजु जी का । हार्दिक बधाई। स्वागत है आपका।सविता अग्रवाल “सवि”
जवाब देंहटाएंसुंदर ताँका!
जवाब देंहटाएं~सादर
अनिता ललित
बेहतरीन ताँका...हार्दिक बधाई अंजु जी।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंअंजू जी का त्रिवेणी परिवार में हार्दिक स्वागत है | अपने सशक्त तांका के माध्यम से आप निसंदेह पाठकों के दिल में जगह बनाएँगी...मेरी बहुत बधाई
जवाब देंहटाएंसभी का आभार। आपकी शुभकामनाएं मेरे जीने का सम्बल है।
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