प्रीति
अग्रवाल
जब भी माँगा
तुम्हारा साथ माँगा
तुम्हारा प्रेम माँगा
इससे ज़्यादा
न चाहा कभी कुछ
न चाहूँगी कभी मैं।
2.
नींद न आई
उलझे रहे नैना
सपने तलाशते
जो नहीं मिले
ढूँढेंगे फिर आज
यही रोज़ का काम।
3.
सूर्यमुखी- सा
मन तेरी ही ओर
मुड़ता चला गया
रोके न रुका
अपलक तकता
टोहता चला गया।
4.
थके नयन
राह तक- तकके
तुम जबसे गए
संग हो चले
मेरे भूख-प्यास भी
हँसी, मनुहार भी!
5.
होठों की प्यास
बादलों ने बुझाई
जमके बरसाई
बूँदों की झड़ी
सुलगते मन को
शांत न कर पाई।
6.
जब सर पे
न छत, न ठिकाना
न कोई सरमाया
तू आ पहुँचा
तान प्रेम छतरी
समेटा, सम्भाला भी!!
7.
सर्द हवाएँ
प्रत्येक घर जाएँ
किवाड़ खड़काएँ
सेंध लगाएँ
"प्रवेश निषेध है"
हताश लौट आएँ।
8.
बात जिया की
उमड़- घुमड़के
अधर किवड़िया
तक तो आए
पर संकोचवश
लौट, दुबक जाए।
9.
चढ़ी है भोर
चढ़े हैं संग- संग
स्वप्न, अभिलाषा
मन जिज्ञासा
कुछ कर दिखाऊँ
अपना हक पाऊँ!
10.
छुपी बैठी है
हृदय के कोने में
एक नन्ही बालिका
कुतरे पंख
उड़ूँ तो उड़ूँ कैसे
सोचती, वो बलिका।
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सुन्दर सेदोका, हार्दिक शुभकामनाएँ ।
जवाब देंहटाएंअच्छे सेदोका-हार्दिक बधाई।
जवाब देंहटाएंकोमल अनुभूतियों के सुंदर सेदोका।हार्दिक बधाई।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर सेदोका...हार्दिक बधाई।
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर और सशक्त सेदोका रचे हैं प्रीति हार्दिक बधाई | सविता अग्रवाल "सवि"
जवाब देंहटाएंपत्रिका में स्थान देने के लिए आदरणीय काम्बोज भाई साहब का आभार!
जवाब देंहटाएंभीकम सिंह जी, रमेश सोनी जी, शिवजी भैया, कृष्णा जी और सविता जी आप सभी ने समय निकाल कर रचनाएँ पढ़ी, सराही, आपका हार्दिक धन्यवाद!
बहुत सुंदर सेदोका
जवाब देंहटाएंहार्दिक बधाई आदरणीया प्रीति जी को
सादर
बहुत सुंदर, प्रभावशाली सेदोका। हार्दिक बधाई प्रीति जी। सुदर्शन रत्नाकर
जवाब देंहटाएंसुंदर सृजन। बधाई
जवाब देंहटाएंसुन्दर सेदोका सृजन । बधाई प्रीति जी ।
जवाब देंहटाएंविभा रश्मि
सभी सेदोका बेहद भावपूर्ण। बधाई प्रीति जी।
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