ज्योत्स्ना शर्मा
1
फूलों से सुना
कलियों को बताया
मैंने भी यहाँ
जीवन -गीत गाया
प्रत्यहं दोहराया ।
2
निशा ने कहा
भोर द्वारे सजाए
निराशा नहीं
तारक आशा के हैं
चाँद आये न आए ।
3
सूरज कहे
ऐसा कर दिखाओ
व्याकुल -मना
वीथियाँ हों व्यथित
कभी तुम ना आओ ।
4.
कविता मेरी
बस तेरा वन्दन
तप्त पन्थ हों
तप्त पथिक मन
सुखदायी चन्दन
5.
मैं मृण्मयी हूँ
नेह से गूँथ कर
तुमने रचा
अपना या पराया
अब क्या मेरा बचा
6 .
तुम भी जानो
ईर्ष्या विष की ज्वाला
फिर क्यूँ भला
नफ़रत को पाला
प्यार को न सँभाला
-0-
4.
कविता मेरी
बस तेरा वन्दन
तप्त पन्थ हों
तप्त पथिक मन
सुखदायी चन्दन

मैं मृण्मयी हूँ
नेह से गूँथ कर
तुमने रचा
अपना या पराया
अब क्या मेरा बचा
6 .
तुम भी जानो
ईर्ष्या विष की ज्वाला
फिर क्यूँ भला
नफ़रत को पाला
प्यार को न सँभाला
-0-
प्रत्यहं= प्रतिदिन
( प्रस्तुति:- डॉ हरदीप कौर सन्धु)
निशा ने कहा
जवाब देंहटाएंभोर द्वारे सजाए
निराशा नहीं
तारक आशा के हैं
चाँद आये न आए ।
बहुत खूब।
कृष्णा वर्मा
bahut hi khoobsoorat
जवाब देंहटाएंसभी बहुत ही भावपूर्ण, बधाई.
जवाब देंहटाएंaasha se bahre sunder bhaw..........
जवाब देंहटाएंaasha se paripoorna,bhaw bikhre hai'n...sunder...
जवाब देंहटाएंhriday se aabhaaree hun aapaki ....aadarneey induravisinghj ji , hridayanubhuti ,डॉ. जेन्नी शबनम ji ,वन्दना ji evam कृष्णा वर्मा ji ...!
हटाएंवाह .... सभी रचनाएँ एक से बढ़ कर एक ... आशा का संचार करती हुई अच्छी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसभी तांका बहुत पसंद आए ...
जवाब देंहटाएंमैं मृण्मयी हूँ
नेह से गूँथ कर
तुमने रचा
अपना या पराया
अब क्या मेरा बचा
यह विशेष रूप से ...
बहुत अच्छे ताँके हैं...बधाई...।
जवाब देंहटाएंभावों के साथ शाब्दिक प्रवाह भी अच्छा बन पड़ा है!
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद .....आदरणीय उमेश महादोषी जी,कही अनकही ,एवम संगीता स्वरूप (गीत ) जी....आपके सराहना भरे शब्द मेरी प्रेरणा हैं....!
हटाएं