सोमवार, 26 नवंबर 2012

हरियाली


प्रियंका गुप्ता
1
हिसाब रखो
खुशी भरे पलों का
दुःखों का नहीं
अँधेरों से ज्यादा
रौशनी भली लगे ।
2
कितने काटे
घने दरख़्त, वन
रहने भी दो
ज़मीं पे घास ही को -
हरियाली का भ्रम ।
-0-

7 टिप्‍पणियां:

  1. दोनो ताँका बहुत बढ़िया प्रियंका जी बधाई।

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  2. शुक्रिया...बहुत आभारी हूँ...।
    प्रियंका

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  3. हिसाब रखो

    खुशी भरे पलों का
    sahi kaha hai aesa karne se jeevan aram se bitega
    bahut bahut badhai
    rachana

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  4. इस प्रविष्टि की चर्चा आज 27/11/12 को राजेश कुमारी द्वारा चर्चा मंच पर की जायेगी

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  5. ज्योत्स्ना शर्मा27 नवंबर 2012 को 11:44 pm बजे

    कितने काटे
    घने दरख़्त, वन
    रहने भी दो
    ज़मीं पे घास ही को -
    हरियाली का भ्रम ......यथार्थ ....बहुत सुन्दर प्रियंका जी

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