शनिवार, 25 मई 2013

ताँका

1-रेखा रोहतगी
1
पलाश खड़े
लाल छाता लगाए
गर्मी में जब
जलते सूरज ने
अँगारे बरसाए ।
-0-
2-डॉ सरस्वती माथुर
1   
मुँडेर पर
शिशिर भोर जागी
मयूरी धूप
दिन भर भागती
सागर में जा लेटी ।
2
सुर्ख भोर थी
नभ झूलना झूले
झिलमिलाती
धरा के आँगन पे
मोती बिखेरती  ।
3
उनींदी रात
चाँदनी नभ पर
निर्झर बहे
तारों के संग संग
मनवा संग दहे l
4
हवा के संग
चाँदनी का आँचल
धरा पे फैला
रात कपाट खोल
भोर सीटी बजाए l
5
मन को छुए
चिड़िया की चहक
जाने क्या कहे
शहर की भीड़ में
छज्जे ढूँढ़ती डोले l
-0-


8 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत खूबसूरत ताँका....!
    रेखा रोहतगी जी व डॉ सरस्वती माथुर जी... बहुत-बहुत बधाई!
    ~सादर!!!

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  2. एक-एक ताँका बहुत सुन्दर!
    सरस्वती जी रेखा जी बहुत बधाई!

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  3. सभी ताँका बहुत खूबसूरत. रेखा जी और सरस्वती जी को बधाई.

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  4. हवा के संग
    चाँदनी का आँचल
    धरा पे फैला
    रात कपाट खोल
    भोर सीटी बजाए l
    -0-
    पलाश खड़े
    लाल छाता लगाए
    गर्मी में जब
    जलते सूरज ने
    अँगारे बरसाए ।



    sunder tanka aapdono ko badhai

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  5. बहुत सुन्दर प्रस्तुति ....सभी ताँका मोहक हैं ..रेखा जी एवं सरस्वती जी को बहुत बधाई !

    सादर
    ज्योत्स्ना शर्मा

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  6. मनमोहक तांका हैं सभी...बधाई...|
    प्रियंका

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