बुधवार, 31 जुलाई 2013

हँसता चल राही

माहिया 
1-शशि पुरवार
1
है खुशियों को जीना
हँसता चल राही
दुःख आज नहीं पीना ।
2
मन में सपने जागे
पैसे की खातिर
क्यूँ हर पल हम भागे?
3
है दिल में जोश भरा
मंजिल मिलती है
दो पल ठहर जरा ।
4
झम झम बरसा पानी
मौसम बदल गए
क्यूँ रूठ गई रानी ?
5
क्यों मद में होते  हो
दो पल का जीवन
क्यों नाते खोते हो ।
6
है क्या सुख की भाषा
हलचल है दिल में
क्यों  टूट रही आशा ।?
7
दिन आज सुहाना है
कल की खातिर क्यों
फिर आज जलाना है ।
-0-
2-रामेश्वर काम्बोज हिमांशु
1
सपना जब टूट गया
दो पल का  मिलना
फिर आँचल छूट गया ।
2
फिर नींद नहीं आई
अब तक अँखियों ने
बस प्यास घनी पाई ।
3
वो पल कब आएँगे
दो दिल मिल अपनी
जब पीर सुनाएँगे ।
4
सूरत दिखला जाना
जब हों प्राण बिदा
तुम मिलने को आना
5
फूलों की क्यारी थी
खुशबू से भीगी
मुस्कान तुम्हारी थी।
6
किसकी है नज़र लगी
अधरों की लाली
चुपके से आन ठगी।
7
चन्दा -सा माथा था
उजियारे मन का
दर्पण कहलाता था।
8
जग ने सब चैन ठगा
पीड़ा का सागर

आँखों में आज जगा
-0-

16 टिप्‍पणियां:

  1. kyon mad me hote ho, do pal ka jivan. bahut sundar bhav hai. shashiji aap ke saare mahiyaa bhavon ki punji ke sarthak praman hain.Badhaai


    jag ne sab chain thagaa, peedaa ka saagar-,aankhon me aaj jagaa.
    Bhaiji , sansar ke chal-prapanchon ke prati,aap ki pratikriya spasht vyakt ho rahi hai.sabhi mahiya sarthak bhavon se bhare hain. badhaai.
    pushpa mehra

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  2. सूरत दिखला जाना
    जब हों प्राण बिदा
    तुम मिलने को आना

    सभी माहिया दिलको छू गए आपके ....!!

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  3. क्यों मद में होते हो
    दो पल का जीवन
    क्यों नाते खोते हो ।

    जग ने सब चैन ठगा
    पीड़ा का सागर
    आँखों में आज जगा

    बहुत सुन्दर माहिया...बधाई!


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  4. 3
    वो पल कब आएँगे
    दो दिल मिल अपनी
    जब पीर सुनाएँगे ।
    4
    सूरत दिखला जाना
    जब हों प्राण बिदा
    तुम मिलने को आना
    5
    फूलों की क्यारी थी
    खुशबू से भीगी
    मुस्कान तुम्हारी थी।

    जग ने सब चैन ठगा
    पीड़ा का सागर

    आँखों में आज जगा
    -0-....और यह अंतिम माहिया तो आपका जैसे सब कुछ कह गया बहुत सुन्दर। सारे भाव उभर गए , भाईसाहब आपके माहिया पढ़कर आनंद आ गया ,हार्दिक बधाई।

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  5. दिन आज सुहाना है
    कल की खातिर क्यों
    फिर आज जलाना है ।
    ..बहुत सुन्दर प्रस्तुति ..

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  6. उत्कृष्ट मनोंभाव .

    आप दोनों को बधाई

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  7. दिन आज सुहाना है
    कल की खातिर क्यों
    फिर आज जलाना है ।

    सूरत दिखला जाना
    जब हों प्राण बिदा
    तुम मिलने को आना. बहुत खूबसूरत हाइकु बधाई।

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  8. सभी माहिया एक से बढ़ कर एक.....राक के शब्दों में कहूं तो " दिल को कई कहानियां याद आके रह गई। " .. शशि जी और काम्बोज जी, आप दोनों को बधाई !

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  9. दिन आज सुहाना है
    कल की खातिर क्यों
    फिर आज जलाना है ।
    kya baat hai shashi ji

    चन्दा -सा माथा था
    उजियारे मन का
    दर्पण कहलाता था।
    bhaiya kya sunder bhav hai
    bahut bahut badhai aap dono
    rachana

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  10. सूरत दिखला जाना
    जब हों प्राण बिदा
    तुम मिलने को आना
    5
    फूलों की क्यारी थी
    खुशबू से भीगी
    मुस्कान तुम्हारी थी।

    जग ने सब चैन ठगा
    पीड़ा का सागर
    आँखों में आज जगा


    खूबसूरत रे तू माहिया ।

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  11. माहिया पसन्द करने वाले सभी स्नेही साथियों का हृदय से आभारी हूँ। रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'

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  12. शशि जी के माहिया सुन्दर सन्देश देते हैं...
    दिन आज सुहाना है
    कल की खातिर क्यों
    फिर आज जलाना है ।

    काम्बोज भाई की रचनाओं में जीवन के अलग अलग अनुभव दिखते हैं. बेहद गहरे एहसास...
    सूरत दिखला जाना
    जब हों प्राण बिदा
    तुम मिलने को आना

    सभी माहिया अत्यंत भावपूर्ण है. आप दोनों को बधाई.

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  13. सभी माहिया बहुत खूबसूरत हैं, पर ये तो बहुत छू गया दिल को...इतनी मार्मिकता है इसमें...
    सूरत दिखला जाना
    जब हों प्राण बिदा
    तुम मिलने को आना..
    ये वेदना पढने वाले के दिल में भी घर कर जाती है...|
    आप दोनों को बहुत बधाई...|

    प्रियंका

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