शनिवार, 16 जुलाई 2016

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कृष्णा वर्मा
1
लिपटी रही
तन्हाई में जिंदगी
जीता रहा उदास,
उठा जनाजा
शामिल थे जिन्होंने
कभी दिया ना साथ।
2
गुणा भाग को
रखा है सदा मैंने
जिन्दगानी से दूर,
इसलिए ही
शायद मेरी राहें
जाती हैं अम्बर को।
3
यादों के पंछी
जब-जब आ बैठें
मन के अँगना में,
हिला जाते हैं
अनजाने में कहीं
वह दिल के तार।
4
पढ़ा त्रिकोण
फिर-फिर पढ़ा था
चौकोण न्यूनकोण
कैसे भुलाया
सबसे उपयोगी
पढ़ना दृष्टिकोण।
5
स्याही नायाब
तेरी-मेरी कलम
बिखेर दे जो उसे ,
बने अल्फ़ाज़
ख़ुद बिखर जाए
तो बन जाए दाग।
6
पढ़ लेने का
यदि होता सलीका
तो पढ़ लेते मौन,
जो अनदेखा
आँख के आँसुओं में
भीगी बातों का सार।
7
कर दी तूने
आज की ये दुनिया
क्यों इतनी ग़रीब,
देने को सिर्फ
छोड़ दिया क्यों धोखा
दफ़ना के तमीज़।

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10 टिप्‍पणियां:

  1. उत्कृष्ट प्रस्तुति
    बधाई

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  2. वाह, सभी सदोका मन को मुग्ध करने वाले,बेहद प्रभावी एवम सह्ज,विशेष रूप से इस सदोका ने प्रभावित किया-
    गुणा भाग को
    रखा है सदा मैंने
    जिन्दगानी से दूर,
    इसलिए ही
    शायद मेरी राहें
    जाती हैं अम्बर को।
    ....... बधाई।

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  3. कृष्णा जी सभी सेदोका में सुन्दर भाव और शब्दों का मिश्रण है आपकी कलम यूँ ही चलती रहे अनेक शुभकामनाएं ।

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  4. कृष्णा वर्मा जी सेदोका के उत्कृष्ट नमूने ही नहीं दृष्टिकोण भी उत्तम है ।वाह -पढ़ा तिकोण /फिर फिर पढ़ा था/.. कैसे भुलाया /पढ़ना दृष्टिकोण ।मन को बहुत भा गया आप का दृष्टिकोण ।बधाई ।

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  5. कृष्णाजी सभी सेदोका उम्दा ,भावपूर्ण।

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  6. बहुत भाव गुम्फित प्रस्तुति!

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  7. कृष्णा जी सभी सेदोका भावपूर्ण....

    गुणा भाग को
    रखा है सदा मैंने
    जिन्दगानी से दूर,
    इसलिए ही
    शायद मेरी राहें
    जाती हैं अम्बर को।
    बेहद प्रभावी.....अनेक शुभकामनाएं ।

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  8. बेहतरीन और सुन्दर सेदोका के लिए बहुत बधाई...|

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  9. ज़िंदगी का गणित समझाते सभी सेदोका बहुत अच्छे लगे |
    सुन्दर सृजन के लिए हार्दिक बधाई दीदी !

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