मंगलवार, 11 सितंबर 2018

सेदोका -ताँका

1-डॉ.जेन्नी शबनम 
1
वर्षा की बूँदें
उछलती- गिरती
ठौर न पाती
मौसम बरसाती
माटी को तलाशती ।
2
ओ रे बदरा
इतना क्यों बरसे
सब डरते
अन्न -पानी दूभर
मन रोए जीभर ।
3
मेघ दानव
निगल गया खेत,
आया अकाल
लहू से लथपथ
खेत व खलिहान ।
4
बरखा  रानी
झम -झम बरसी
मस्ती में गाती
खिल उठा है मन
नाचता उपवन ।
5
प्यासी धरती
अमृत है चखती
सोंधी- सी खूश्बू
मन को लुभाती
बरखा तू है रानी।
 -०-
2-कृष्णा वर्मा
1
जीवन होता
कबड्डी के खेल-सा
छूने दिया तो हारे ,
विजय रेखा
छूने बढ़े  तो खींचे
दौड़के लोग पीछे।
2
दुनिया है ये
साहिल न सहारा
 कहीं  भी किनारा
हैं तन्हाइयाँ
मरी यहाँ रौनकें
बची रुसवाइयाँ।
3
बाँटते रहे
समझ कर प्यार
ये खुशियाँ उधार,
लौटाया नहीं
जब तूने उधार
मरा दिल घाटे से।
4
बुनी चाहतें
पिरोते रहे ख़्वाब
तुम्हारी दुआओं में,
होती शिद्दत
मिल  ही  जाता  प्रेम
रियाद के बिना
5
दोनों अदृश्य
प्रार्थना औ विश्वास
अजब अहसास
असंभव को
संभव करने की
क्षमता बेहिसाब।
6
मेरे स्वप्न की
 मुँडेर पर माँ
रख देती है दिया  
अँधेरा मिटा
मिल जाती है दिशा
स्वप्न की उड़ान को।
-0-

11 टिप्‍पणियां:

  1. जेन्नी शबनम जी, कृष्णा जी बहुत सुंदर सृजन।

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  2. शबनम जी और कृष्णा जी को साधुवाद | सु. व. |

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  4. बहुत सुन्दर सेदोका और ताँका । शबनम जी व कृष्णा जी को बधाई ।

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  5. सुंदर सृजन के लिए जेन्नी जी को बधाई।

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  6. शबनम जी का २और ३ नं.का ताँका आजकल के यथार्थ का सुन्दर चित्रण प्रश्न बन कर उभरा है ,कृष्णा जी का अंतिम सेदोका माँ पर लिखा अच्छा लगा |
    पुष्पा मेहरा

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  7. सुंदर अभिव्यक्ति के लिए जेन्नी शबनम जी और कृष्णा जी को बहुत-बहुत बधाई।

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  8. बहुत ही प्यारे तांका और मनभावन सेदोका हैं...| आप दोनों को मेरी हार्दिक बधाई...|

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  9. सुंदर सृजन के लिए हार्दिक बधाई

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