शनिवार, 22 दिसंबर 2018

847


रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
1
रिश्ते हैं सर्द
आँच बनाए रखो
जीवन बचे
गूगल से साभार 
मेहँदी रचे हाथ
नित नया ही रचें ।
2
तन -कस्तूरी
मन- मृग आकुल
हाँफता रहा
अगर तू न मिला
कुछ नहीं हासिल।
3
जुड़े हैं प्राण
सूत्र प्यार तुम्हारा
कच्ची है डोर
हाथ में तुम्हारे हैं
इसके दोनों छोर।
4
काल से परे
होते सब सम्बन्ध
टूटते नहीं
तोड़े कोई जितना
उतने और जुड़ें।
5
तेरी छुअन
भूल न सका तन
रोम-रोम में
घुली तेरी खुशबू
बन गई चन्दन।
6
एकान्त टूटा
मंदिर की सीढ़ियाँ
हुई मुखर,
तेरे चरण चूमें
आनन्द-पगी झूमें।
7
मन-पाटल
झरी हर पाँखुरी
शूल ही बचे।
धूल भरी साँझ है
अब कोई क्या रचे!
-0-

18 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही सुंदर , भावपूर्ण सृजन भैया जी

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत ख़ूबसूरत तांका, भाईसाहब बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  3. पावन हृदय की गहराइयों से निकले मोती माणिक ...
    सृजन की बधाई स्वीकारें ।

    जवाब देंहटाएं
  4. आपकी लेखनी से सदा ही मनभावन रचनाओं का सृजन होता है .... बहुत ही सुंदर हॄदय को छूने वाले ताँका👌👌

    बधाइयाँ 💐

    जवाब देंहटाएं
  5. आप सबका हृदयतल से आभार। आपकी टिप्पणियाँ मेरी शक्ति हैं।
    काम्बोज

    जवाब देंहटाएं
  6. कोमल, सुंदर भाव लिए ताँका! हार्दिक बधाई आदरणीय भैया जी !!!

    ~सादर
    अनिता ललित

    जवाब देंहटाएं
  7. काल से परे
    होते सब सम्बन्ध
    टूटते नहीं
    तोड़े कोई जितना
    उतने और जुड़ें।

    ekadma sach or gahari baat ki aapne bahut bahut badhai...

    जवाब देंहटाएं
  8. वाह!प्रत्येक तांका उत्कृष्ट भावनाओं का जीवंत उदाहरण है।नमन सर !!

    जवाब देंहटाएं
  9. आप सबकी टिप्पणियाँ मेरे लिए प्रेरक हैं। हार्दिक आभार।
    काम्बोज

    जवाब देंहटाएं
  10. सुन्दर भाव भरे ताँका , हार्दिक बधाई !

    जवाब देंहटाएं
  11. बहुत मनभावन तांका हैं सभी...| मेरी हार्दिक बधाई...|

    जवाब देंहटाएं