रमेश कुमार सोनी , बसना
1
कोई ना बचे
फागुन रंगरेज़
रंग बरसे
पिया गली में भीगा
मन नशीला हुआ ।
2
रंगों में हँसी
इन्द्रधनुष दिखा
चौंधया गया
रंग डालना भूला
धत् बोलकर भागी ।
3
होली का हल्ला
ढूँढे सखी की टोली
लिये नगाड़े
श्याम कौन रंगेगा ?
चढ़ा ना रंग दूजा ।
4
पहचाना क्या ?
रंगी-पुती है काया
पिया जी चीन्हे
प्रीत का रंग पक्का
बची ना फगुनवा ।
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