डॉ .जेन्नी शबनम
अक्सर पूछा
खुद से ही सवाल
जिसका हल
नहीं किसी के पास,
मैं ऐसी क्यों हूँ ?
मैं चिड़िया क्यों नहीं
या कोई फूल
या तितली ही होती,
यदि होती तो
रंग- बिरंगे होते
मेरे भी रूप
सबको मैं लुभाती
हवा के संग
डाली-डाली फिरती
खूब खिलती
उड़ती औ नाचती,
मन में द्वेष
खुद पे अहंकार
कड़वी बोली
इन सबसे दूर
सदा रहती
फोटो; रश्मि शर्मा |
प्रकृति का सानिध्य
मिलता मुझे
बेख़ौफ़ मैं भी जीती
कभी न रोती
बेफ़िक्री से ज़िन्दगी
खूब जीती
हँसती ही रहती
कभी न मुरझाती !
-0- मेरे ब्लॉग-