शशि पुरवार
1
ये मौसम सर्द हुआ
तुम तो रूठ गए
जीवन बेदर्द हुआ ।
2
दिल में फिर टीस जगी
सुप्त पड़े रिश्ते
जीवन में आग लगी
3
वे याद रही कसमें
पिय संग निभाई ,
जो वेदी पे रस्में
।
4
नीला नभ ठहरा है
सच्चा प्यार सदा
इससे भी गहरा है ।
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