आज पहली बार त्रिवेणी पर हम सेदोका जुगलबन्दी पेश कर रहे हैं । आशा करते हैं कि आपको हमारा यह प्रयास अच्छा लगेगा ।
1.
बीता जीवन
कभी घने बीहड़
कभी किसी बस्ती में
काँटे भी सहे
कभी फ़ाके भी किए
पर रहे मस्ती में । .............हिमांशु
रमता योगी
नई -नई राहों पे
यूँ ही चलता जाए
नया सूरज
उगता प्रतिदिन
नए -नए आँगन । ..............सन्धु
2 .
हज़ारों मिले
पथ में मीत हमें
चुपके से खिसके
तुम - सा न था
साथ निभाने वाला
लौटके आने वाला । .........हिमांशु
आया अकेला
देखने यह मेला
मिला साथ सुहाना
हँसा ज़माना
मेले में घूम-घूम
ढूँढ़ा सुख -खिलौना । .......सन्धु
1.
बीता जीवन
कभी घने बीहड़
कभी किसी बस्ती में
काँटे भी सहे
कभी फ़ाके भी किए
पर रहे मस्ती में । .............हिमांशु
रमता योगी
नई -नई राहों पे
यूँ ही चलता जाए
नया सूरज
उगता प्रतिदिन
नए -नए आँगन । ..............सन्धु
2 .
हज़ारों मिले
पथ में मीत हमें
चुपके से खिसके
तुम - सा न था
साथ निभाने वाला
लौटके आने वाला । .........हिमांशु
आया अकेला
देखने यह मेला
मिला साथ सुहाना
हँसा ज़माना
मेले में घूम-घूम
ढूँढ़ा सुख -खिलौना । .......सन्धु
11 टिप्पणियां:
क्या कहने इस जुगलबंदी के...बहुत बढ़िया...|
बधाई और आभार...|
प्रियंका
bahut khoob .....!!
बहुत अच्छी जुगलबंदी. जीवन को साक्षी भाव से देखना और जीना... बहुत उम्दा. काम्बोज भाई और हरदीप जी को बधाई.
bahut sundar bhaavon kii bahut hii sundar jugalbandee hai ...badhaaii aap dono ko !!
saadar
jyotsna sharma
अरे वाह, बहुत बहुत बधाई। क्या जुगल बंदी है।
lajavab jugal bandi badhai
rachana
क्या बात है !
बहुत खूब ... मज़ा आ गया इस जुगलबंदी का ... गहरा अर्थ लिए सभी बंध ....
बहुत सुंदर जुगलबंदी .बेह्तरीन अभिव्यक्ति !शुभकामनायें.
Bahut achhi jugalbandi hai. Badhaai
जुगलबंदी बहुत अच्छी लगी । आप दोनों को बधाई ।
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