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गुरुवार, 8 मार्च 2012

रंगीन हुई फिज़ा

1-डॉo हरदीप कौर सन्धु

उड़े गुलाल

हुई रंग बौछार 

घर -आँगन
रंग से रंग मिले
दिल से दिल नहीं 

2
होली के दिन
रंग -भीगा बदन
क्यों रंगभीगा 
हुआ न तेरा मन
फीका लगे क्यों रंग 
3.
उड़े ज्यों रंग
रंगीन हुई फिज़ा 
ढूंढ़ता रहा 
मैं एक रंग ऐसा 
जो रंगे मेरी आत्मा 

-0-
2-डॉo श्याम सुन्दर ‘दीप्ति’
1
अरी ये क्या है !
कच्चे रंग तुम्हारे
ला सको घर
पक्के रंग का घोल
रिश्ते हों अनमोल ।
2
होली के रंग
तभी ला सके रंग
अगर हम
भूल जाएँ मिलना
ऊँचे  रुतबों -संग ।
3
रिश्तों के रंग
भर लाते तो बात
बने सौगात
रिश्तों में हो मिठास
होली करते याद 
-0-

3-डॉo भावना कुँअर
1
होली के रंग
कभी, थे मेरे संग
बिखरे सभी
जब से हुए जुदा
वो बेदर्द सनम।
2
फूलों के रंग
या हों फिर होली के
दें सूनापन,
जीना लगे बेकार
जब पिया न संग।
3
मेरी तरह
निहारते हैं राह
सजे हुए ये,
रंग-बिरंगे थाल
बेबस औ बेहाल।
4
बढ़ी दूरियाँ
लगने लगे फीके
सारे ही रंग,
फूलों के या होली के
प्यार की ठिठोली के।
-0-





सोमवार, 6 फ़रवरी 2012

जीवन के प्रसंग


जीवन के प्रसंग
डॉ श्याम सुन्दर ‘दीप्ति’
1
राजा बेटा है
माँ के लिए ठीक है
ये मत सोच
बड़ा  हो गया है तू
माँ पे राज करेगा।
2
सीखता है क्यों
बदलने के रंग
मौसम से तू
सीख सके तो सीख
जीवन के प्रसंग ।
3
रिश्ता क्या था वो
अजीब हलचल
रख दी जैसे
ये ज़िन्दगी बदल
साथ जो हर पल।
4
कुदरत का
ज़र्रा-ज़र्रा  सिखाए
ये समझाए-
मिलकर रहना
सब कुछ सहना ।
5
तेरा स्वभाव,
मौसम बदलना
एक नहीं है
मानव है ये जान
आगे बढ़ना काम
-0-