विभा रश्मि
1
सोन चिरैया
चुग्गा चोंच - दबाए
उड़ी थी फुर्र
बसेरे का सपना
नीड़ अपना
चूज़े भरें आनंद
पंख फैलाएँ
तपिश -आलोडन
महके मन
चिरैया डाल -डाल
है इठलाए
तिनके भरे चोंच
बनी श्रमिक
कलरव नवल
वसंत हर पल ।
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2
ललना प्यारी
घुटरुन खिसके
मोह ले हिया
मनोहारी मुद्राएँ
वश में मैया
विस्मृत दिनचर्या
लेती बलैयाँ
पकड़ भई खड़ी
साड़ी का पल्लू
गिरे जब विलापे
अंक में छिपी
ललना किलकारी
मैया दुनिया सारी ।
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