भीकम सिंह
1
नि: शब्द हुआ
दिल का अनुराग
याद मुझे था
जब फैली मुस्कान
भीतर में दु:ख था ।
2
प्रेम निशानी
छिप - छिप पहनें
ठुड्डी को छूले
धूल भरे पैरों से
गॅंवई -सी मोह - ले ।
3
बाट जोहती
खेत की मेड़ पर
प्यार में खड़ी
पूस की पूर्णिमा में
काटे,अमा की घड़ी ।
4
प्रेयस तक
पहुंची
नहीं बात
एक मन था
डूबता - उतरता
प्यार में उस रात ।
5
प्रेम में पड़ी
कितना कह गई
एक झलक
करवटें फेरे, ज्यों
सवेरे - सी पुलक ।