भीकम सिंह
1
नि: शब्द हुआ
दिल का अनुराग
याद मुझे था
जब फैली मुस्कान
भीतर में दु:ख था ।
2
प्रेम निशानी
छिप - छिप पहनें
ठुड्डी को छूले
धूल भरे पैरों से
गॅंवई -सी मोह - ले ।
3
बाट जोहती
खेत की मेड़ पर
प्यार में खड़ी
पूस की पूर्णिमा में
काटे,अमा की घड़ी ।
4
प्रेयस तक
पहुंची
नहीं बात
एक मन था
डूबता - उतरता
प्यार में उस रात ।
5
प्रेम में पड़ी
कितना कह गई
एक झलक
करवटें फेरे, ज्यों
सवेरे - सी पुलक ।
6 टिप्पणियां:
बहुत सुंदर ताँका। हार्दिक बधाई आपको। सुदर्शन रत्नाकर
मधुर रस में भीगे तांका
सुंदर ताँका-हार्दिक बधाई जी
सुन्दर ताँका, हार्दिक बधाई आपको।
बहुत सुंदर ताँका।हार्दिक बधाई सर।
बहुत सुंदर ताँका। हार्दिक बधाई।
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