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शुक्रवार, 17 जुलाई 2015

डॉ•भावना कुँअर ‘जाग उठी चुभन’



डॉभावना कुँअर जाग उठी चुभन
डॉसतीशराज पुष्करणा
हिन्दीकाव्य तो  यों  ही पर्याप्त समृद्ध है ;किन्तु समृद्धि की कोई सीमा नहीं होती, वह असीम है। अत: यही कारण है कि साहित्य सदैव एक दूसरी देशी एवं विदेशी भाषा से अपने संस्कार के अनुरूप बहुत कुछ लेता एवं बहुत कुछ देता है। इसी क्रम में जापान से अन्य देशों की भाषाओं में काव्य की अनेक विधाएँयथा: हाइकु, ताँका, सेदोका, चोका इत्यादि आईं। इनमें भारतीय कवि हाइकु को तो विगत लगभग दोतीन दशकों से पूरी सक्रियता से लिख रहे हैं। इसके बाद ताँका भी शनै: शनै: संतोषजनक प्रगति कर रहा है। इन्हीं के साथसाथ चोका और सेदोका भी  धीमे-धीमे ही सही विकास पा रहे हैं।

रामेश्वर कम्बोज हिमांशु के अनुसार-सेदोका का आधर हैं 577 के दो कतौता। कतौता अपने आप में अर्ध कविता है। दो कतौता मिलकर पूर्ण कविता बनते हैं। प्रथम भाग में जो कथ्य होता है, दूसरे भाग में एक अलग कोण, अलग परिदृश्य में उसी बात की पुष्टि या प्रस्तुति रहती है। हिन्दी में अलसाई चाँदनी (21 कवियों के 326 सेदोका, अगस्त 2012) इस क्षेत्र में पहला संग्रह है, जिसका संपादन डॉभावना कुँअर, डॉहरदीप कौर सन्धु और मैंने किया था। इसी वर्ष डॉउर्मिला अग्रवाल के बुलाता है कदम्ब और देवेन्द्र नारायण दास के एकल संग्रह आये। डॉरमाकान्त श्रीवास्तव का सेदोका संग्रह जीने का अर्थ 2013 में,डॉसुधा गुप्ता का सेदोका संग्रह सागर को रौंदने सन् 2014 में प्रकाशित हुआ। इसी की नवीनतम कड़ी के रूप में  डॉभावना कुँअर  काजाग उठी चुभन है ,जो अपनी विषयवस्तु के अनुसार क्रमश: रिश्ते काँचसे, दर्द के दरिया में, जाग उठी चुभन, गर्म है हवा, प्रकृतिप्रेम और छिनी नीम की छाँव छह शीर्षकों में विभक्त है।

सेदोका भी चूँकि काव्य का ही रूप या विधा  है। अत: इसमें कवित्व का होना ज़रूरी है। और भावना के सभी सेदोका इस निकष पर खरे उतरते हैं ।इनके पूर्व में प्रकाशित दो हाइकुसंग्रह तारों की चूनर एवं धूप के खरगोश के अध्ययन का सुअवसर मुझे प्राप्त हुआ है। इसलिए मैं इनकी काव्यप्रतिभा से भलीभाँति परिचित हूँ। इनकी वही प्रतिभा इनके सेदोकाओं में भी प्रत्यक्ष है। उदाहरणार्थ यह सेदोका का देखें-

रिश्ते काँचसे/जरा ठसक लगी/चूरचूर हो गए/जोड़ना चाहा/रीते मन के प्याले/घायल हम हुए।

(पृष्ठ19)

प्रेम के रिश्तों की नाज़ुकी को स्पर्श करता यह सेदोका सीधा  हृदय को स्पर्श करता है। वस्तुत: श्रेष्ठ कविता की यह पहचान भी है , वह सीधा  हृदय को स्पर्श करती है। कारण कविता वस्तुत: हृदय से निकली चुभन है ; जो अनुभूतियों को जगाते हुए संवेदनाओं के रूप में प्रत्यक्ष होती है और पाठकों को प्रभावित करती है।

इसी प्रकार प्रेम में वियोग का एक चित्रण निम्न सेदोका में देखा जा सकता है कि यादों में जीना कितना पीड़ादायक होता है। ऐसे में उस अपने की चाह होती है ,जो यादों में बसता है। इस भाव को अभिव्यक्ति देता यह सेदोका महत्त्वपूर्ण है-

यादों में जीना/मेरे दिल का बोझ/बेहिसाब बढ़ा/थामे जो हाथ/जो लगे अपनासा/वो सामने (पृष्ठ35)

भावना कुँअर अति भावुक मनमिजाज़ की प्रतिभा सम्पन्न कवयित्री हैं , अत: स्वाभाविक है इनकी कविताओं में यथार्थ की अपेक्षाकृत भावुकता का पक्ष अधिक सबल एवं प्रखर हो। कारण काव्यरचयिता ज़राज़रासी बात से प्रभावित होता है; अत: उसके मन से अपनी पीड़ा निश्चित रूप से उसके सृजित काव्य में शक्ति एवं प्रभाव उत्पन्न कर देती है। इस संदर्भ इनका यह सेदोका देखें-

बरसों तक/सोई थी जो दिल में/जाग उठी चुभन/निखर गया/कविताओं का रूप/खिल गया चमन।(पृष्ठ45)

आज भारत ही नहीं पूरे विश्व में पर्यावरण चर्चा का विषय है, कारण आधुनिकीकरण के कारण जीवन दुर्लभ हो गया। इसका कारण व्यक्ति स्वयं ही है उसने जंगल गाँवों को भी इसी आधुनीकरण के चपेट में ले लिया है। इस तथ्य को प्रत्यक्ष करता यह सेदोका देखें-

गर्म है हवा/छीन ले गया कौन?/नीम की ठण्डी हवा/बसता था जो/साँसों में सबके ही/गुम हो गया गाँव।(पृष्ठ61)

मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि इस पुस्तक के प्राय: सभी सेदोका उद्धृत होने की पूरी क्षमता  रखते हैं। हरेक की अपनीअपनी काव्य विशेषता है।

कवयित्री की विषयवस्तु एवं प्रस्तुति दोनों ही उल्लेखनीय हैं जबकि ऐसा देखने में कम आता है।

(अभिनव प्रत्यक्ष  जुलाई 15 से साभार )

जाग उठी चुभन, कवयित्री : डॉभावना कुँअर, प्रकाशक : अयन प्रकाशन, 1/20, महरौली, नई दिल्ली110030; संस्करण : 2015, पृष्ठ : 88, मूल्य : 180 रुपये