कृष्णा वर्मा
1
ओ मधुमास
मख़मली अहसास
जाग्रत हुई प्यास
छाया उल्लास
महके पल छिन
ठुमकता सुहास।
2
कैसा करार
थिरकती चेतना
मनवा बेकरार
सिसके चाह
तरस गईं बाहें
साजन उस पार।
3
प्रेम- जुनून
क़ायदा ना कानून
मिटना लगे चंगा
जले बेबाक
एक ओर दीपक
दूजी ओर पतंगा।
4
प्रेम -लगन
पथ पर बिछता
बन कर गुलाब
मेल की चाह
मिटाए या जिलाए
प्रेम बेपरवाह।
5
छोटा जीवन
गिनी-चुनी घड़ियाँ
चलना सम्भल के
टूटते रिश्तों
की, जोड़
लो कड़ियाँ
ज्यों मोती की लड़ियाँ।
6
है अनमोल
यह ख़ून के रिश्ते
गँवाना ना बेकार
देके अपना
उन्हें हिस्सा रोकले
आँगन में दीवार।
7
पीड़ा क्या हास
कटा करवटों में
उम्र का बनवास
नित आँसुओं
ने लिखा चेहरे पे
नूतन इतिहास।
8
मिले फुर्सत
तो पढ़ लेना कभी
पानी की तहरीरें
हर दरिया
के, हैं
हज़ारों साल
पुराने अफ़साने।
9
सूखें शजर
जब कभी रिश्तों के
भीगी हुई पलकों
से, सींच
देना
फूट पड़ेंगी फिर
सुकोमल कोंपलें।
10
हुए जब से
हम तुमसे दूर
किसको बतलाएँ
हो गए हम
ख़ुद स्वयं से दूर
पीर बनी नासूर।