डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा
1
बनकर पंछी चहका
सूरज की आहट
कलियों का मन महका ।
2
कितना बेहाल करे
तड़की मन धरणी
नैनों के ताल भरे ।
3
आए हो ,रुक जाओ
ओ बादल ! प्यासी-
धरती पर झुक जाओ ।
4
अब क्या फ़रियाद करें ?
पल भर भूलें हों
तो तुमको याद करें ।
5
कैसे दुख ने घेरा
जागी आँखों से
मुँह सपनों ने फेरा ।
6
आदत तड़पाने की
आते ही बातें
करते हो जाने की ।
7
सोचा दिन-रात करूँ
आओ तो,
तुमको
देखूँ या बात करूँ ।
8
हैं घड़ियाँ मुश्किल की
लाख छुपाया था
जग जान गया दिल की ।
9
मुझको परवाह नहीं
बस उन अधरों पे
आने दूँ आह नहीं ।
10
ख़ुशियों का डेरा है
वैरी जग सारा
कोई तो मेरा है ।
11
शूलों में फूल खिले
महके ,
मुस्काए
हर गम को भूल मिले ।
12
देकर रूमाल गए
नैना परदेसी
जादू -सा डाल गए ।
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