(1)
अरे किसान
तेरे खेत हँसते
मुसकाई हैं
ये धान की बालियाँ
फ़िर तू क्यों रोया है ?
(2)
कड़क धूप
जलाती तन-मन
हाड़ कँपाती
ये बैरन सर्दी भी
छत टपक रोती।
(3)
कटी फ़सल
अन्न लदा ट्रकों पे
लगी बोलियाँ
किसान के हिस्से में
भूसे का ढेर बचा ।
(4)
प्यारा था खेत
सींचा था पसीने ने
बहा ले गया
पगलाया बादल
बस एक पल में।
-कमला निखुर्पा